Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडिसेवित्ता आलोएज्जा, ठवणिज्ज ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियो३। बहवे साहम्भिया एगयओ विहरंति, सव्ये ते अनयर अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, एगं तत्थ कप्पागं ठवइत्ता अवसेसा निव्विसेज्जा, अह पच्छ। सेवि निविसेज्जा '५७।४। परिहारकप्पट्ठिए भिक्खू गिलायमाणे अन्नयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, से य संथरेजा ठवणिज्ज ठवइत्ता करणिज्ज वेयावडियं, से य नो संथरेज्जा अणुपरिहारिएणं करणिज्जं वेयावडियं, से तं अणुपरिहारिएणं कीरमाणं वेयावडियं साइजेजा सेवि कसिणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया '७२ ५। परिहारकप्पट्ठियं भिक्खू गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स निजूहित्तए, अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायङ्काओ विष्पमुक्को, तओ पच्छ। तस्स अहालहुसए नाम ववहारे पट्टवियव्वे सिया६। अणवटुप्पं० पारश्चियं भिक्खु गिलायमाणं जाव पट्टवियव्ये सिया, खित्तचित्तं०, दित्तचित्तं०, जक्खाइ8०, उम्मायपत्तं०, उवसग्गपत्तं०, साहिगरणं०, सपायच्छित्तं०, भत्तपाणपडियाइक्खितं०, अट्ठजायं भिक्खुं० पट्टवियव्वे सिया '२२६ १७-१७। अणवठ्ठप्पं भिक्खं अगिहिभूयं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवद्वावित्तए।१८। अणवट्ठप्पं भिक्खं गिहिभूयं कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावित्तए।१९। पारश्चियं भिक्खं अगिहिभूयं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावित्तए।२०। पारंचियं भिक्खू गिहिभूयं कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावित्तए।२१॥ अणवठ्ठप्पं भिक्खुं० अगिहिभूयं वा गिहिभूयं वा कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स उवठ्ठावित्तए जहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया॥२२॥ ॥ श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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