Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वा, नो चेव णं संभोइयं साहम्मियं बहुस्सुयं बझागमं पासेज्जा जत्थेव अन्नसंभोइयं बहुस्सुयं बझागमं पासेज्जा कप्पड़ से तस्संतिए आलोएत्तए वा जाव पडिवजेत्तए वा, नो चेव णं अन्नसंभोइयं० जत्थेव सारूवियं बहुस्सुयं बझागमं पासेज्जा कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा०, नो चेव णं सारूवियं बहुस्सुयं बझागमं पासेज्जा जत्थेव समणोवासगं पच्छाकडं बहुस्सुयं बझागमं पासेज्जा कप्पइ से तस्संतियं आलोएत्तए वा पडिक्कमेत्तए वा जाव पायच्छित्तं पडिवजित्तए वा, नो चेव णं समणोवासगं पच्छाकडं बहुस्सुयं बझागमं पासेज्जा जत्थेव सम्मभावियाई चेइयाई पासेज्जा कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा जाव पायच्छित्तं पडिवज्जित्तए वा, नो चेव णं सम्मभावियाई चेइयाई पासेज्जा बहिया गामस्स वा जाव संनिवेसस्स वा पाईणाभिमुहेण वा उदीणाभिमुहेण वा करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु कप्पइ से एवं वएत्तए एवइया मे अवराहा एवइक्खुत्तो य अहं अवरद्धो अरहंताणं सिद्धाणं अन्तिए आलोएज्जा पडिकमज्जा निन्देन्जा जाव पायच्छित्तं पडिवजेज्जासित्ति बेमि '९७३'३५॥ पढमो उद्देसओ१॥ ___ दो साहमिया एगयओ विहरंति, एगे तत्थ अन्नयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, ठवणिज्जं ठवइत्ता करणिज्ज वेयावडियो। दो साहम्मिया एगयओ विहरंति दोवि ते अन्नयरं अकिच्चद्वाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, एगं तत्थ कप्पागं ठवइत्ता एगं निविसेन्जा, अह पच्छ। सेवि निव्विसेजा।२। बहवे साहम्मिया एगयओ विहरंति, एगे तत्थ अत्रयरं अकिच्चट्ठाणं ॥श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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