Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
वा सागारियसंतियं वा संज्जासंथारगं पच्चपिणित्ता दोच्चंपि तमेवओग्गहं अणणुन्नवेत्ता अहिट्ठित्तए ।८। कप्पइ० अणुन्नवेत्ता ० १९ ॥ नो कप्पड़ निग्गन्थाण वा निग्ग-थीण वा पुव्वामेव ओग्गहं ओगिण्हित्ता तओ पच्छा अणुन्नवेत्तए । १० । कप्पड़ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पुव्वामेव ओग्गहं अणुन्नवेत्ता तओ पच्छा ओगिण्हित्तए, अह पुण एवं जाणेज्जा इह खलु निग्ग थाण वा निग्गन्थीण वा नो सुलभे पाडिहारिए सेज्जासंथारए तिकट्टु एवं हं कप्पड़ पुव्वामेव ओग्गहं ओगिण्हित्ता तओ पच्छा अणुनवेत्तए मा वहउ अज्जो ! बिइयं, अणुलोमेणं अणुलोमेयव्वे सिया' १५३ ' (११ । निग्गन्थस्स णं गाहावइकुलं पिण्डवायपडियाए अणुपविट्ठस्स अहालहसए उवगरणजाए परिभट्टे सिया तं च केई साहम्मिया पासेज्जा कप्पड़ हं से सागारकडं गहाय जत्थेव | ते अन्नमन्नं पासेज्जा तत्थेव एवं वएज्जा इमे ते अज्जो ! किं परिन्नाए ?, से य वएज्जा परिन्नाए, तस्सेव पडिणिज्जाएयव्वे सिया, से य वएज्जा नो परिन्नाए, तं नो अप्पणा परिभुञ्जेज्जा, नो अन्नेसिं दावए, एगंते बहुफासुए पएसे थण्डिले पडि० पम० परिद्ववेयव्वे सिया ।१२ । निग्गन्थस्स णं बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खंतस्स अहालहसए० परिद्ववेयव्वे सिया | १३ | निग्गन्थस्स णं गामाणुगामं दुइजमाणस्स अन्नयरे उवगरणजाए परिभट्ठे सिया तं च केई साहम्मिया पासेज्जा, कप्पड़ से सागारकडं गहाय दूरमवि अद्धाणं परिवहित्तए, जत्थेव अन्नमन्नं पासेज्जा तत्येव० परिद्ववेयव्वे सिया' २१० '११४ । कम्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा अइरेगपडिग्गहं अन्नमन्नस्स अट्ठाए दूरमवि अद्धाणं परिवहित्तए वा धारेत्तए वा परिहरितए ॥ श्री व्यवहारसूत्रम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
२७
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49