Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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'सो वा णं धारेस्सइ अहं वा णं धारेस्सामि अनो वा णं धारेस्सइ' नो से कप्पड़ तं अणापुच्छिय अणामन्तिय अन्नमन्नेसिं दाउं वा अणुप्पयाउं वा, कम्पइ से तं आपुच्छिय आमन्तिय अन्नमसिं दाउं वा अणुप्पयाउं वा '३०७११५। अट्ठकुक्कुडिअण्डगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे निग्गन्थे अप्पाहारे दुवालसकुक्कुडिअण्डगप्पमाणमेत्ते कवले आहार आहारेमाणे निग्गन्थे अवड्ढोमोयरिया सोलस० दुभागपत्ते चउवीसं० ओमोयरियातिभागपत्ते सिया एगतीसं० किंचूणोभोयरिया बत्तीसं० पमाणपत्ते, एत्तो एगेणवि कवलेणं ऊणगं आहारं आहारेमाणे समणे निग्गन्थे नो पकामरसभोइत्ति वत्तव्वं सिया'३३०११६॥ अट्ठमो उद्देसओ८॥
सागारियस्स आएसे अन्तो वगडाए भुइ निहिए निसट्टे पाडिहारिए, तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। सागारियस्स आएसे अंतो वगडाए भुञ्जइ निट्ठिए निसटे अपाडिहारिए तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।२। सागारियस्स आएसे बाहिं वगडाए भुअइ निहिए निसटे पाडिहारिए तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।३। सारियस्स आएसे बाहिं वगडाए भुंजइ निहिए निसट्टे अपाडिहारिए तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए । सारियस्स दासेइ वा पेसेइ वा भयएइ वा भइण्णएइ वा अंतो० पाडिक अंतो० अपाडि० बाहिं पाडि० बाहिं अपाडि०५-८) सारियस्स नायए सिया सारियस्स एगवगडाए अंतो सागारियस्स एगपयाए सारियं चोवजीवइ तम्हा दावए नो से कप्पड़ पडिगाहेत्तए।९। सारियस्स नायए सिया सारियस्स ॥ श्री व्यवहारसूत्रम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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