Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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जाए मोए आइयव्वे तं अयं वा बहुए वा, एवं खलु सा खुड्डिया मोयपडिमा अहासुत्तं जाव अणुपालिया भवइ ४११|| महल्लियण्णं मोयपडिम० पढमसर० जाव पव्वयविदुग्गंसि वा, भोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ, अभोच्चा आरुभइ अद्वारसमेण पारेइ, जाए जाए मोए० आइयव्वे० आणाए अणुपालिया भवइ ४२॥ संखादत्तियस्स णं भिक्खुस्स पडिग्गहधारिस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविट्ठस्स जावतियं २ अन्तो पडिग्गहंसि उच्चइत्तु दलएज्जा तावइयाओ दत्तीओ वत्तव्वं सिया, तत्थ
से केइ छप्पएण वा दूसएण वा वालएण वा अन्तो पडिग्गहंसि उच्चित्ता दलएज्जा सव्वावि णं सा एगा दत्ती वत्तव्वं | सिया, तत्थ से बहवे भुञ्जमाणा सव्वे ते सयं सयं पिण्डं साहणिय २ अन्तो पडिग्गहंसि उच्चित्ता दलएज्जा सव्वावि णं सा एगा दत्तीति वत्तव्वं सिया४३संखादत्तियस्स णं भिक्खुस्स पाणिपडिग्गहियस्स० जावइयं अन्तो पाणिंसि पडिग्गहंसिक वत्तव्यं सिया ११५१४४। तिविहे उवहडे पं० २०-सुद्धोवहडे फालिओवहडे संसट्ठोवहडे ।४५। तिविहे ओग्गहिए पं० २० जं च ओगिण्हइ जं च साहरइ जं च आसगंसि पक्खिवइ, एगे एवमाहंसु, एगे पुण एवमाहंसु दुविहे ओग्गहिए पं० तं० जं च ओगिण्हइ जं च आसगंसि पक्खिवइ '१२८ ॥४६॥ नवमो उद्देसओ९॥ ____ दो पडिमाओ पं० २० जवमझा य चन्दपडिमा वइरमझा य चन्दपडिमा, जवमझण्णं चन्दपडिमं पउिवनस्स अणगारस्स मासं वोसढकाए चियत्तदेहे जे केई उक्सग्गा समुपजति तं० दिव्वा वा माणुस्सगा वा तिरिक्खजोणिया वा अणुलोमा वा श्री व्यवहारसूत्रम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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