Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडिवनस्स अणगारस्स बहुलपक्खस्स पाडिवए कप्पइ पण्णरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहित्तए पण्णरस पाणगस्ससव्वेहिं | दुपयचउप्पय०, बीयाए से कम्पइ चोइस, एवं पन्नरसीए एगा दत्ती, पडिवए से कम्पइ दो दत्तीओ बीयाए तिन्नि जाव चउद्दसीए पण्णरस पुण्णिमाए अभत्तढे भवइ, एवं खलु एसा वइर मझचंदपडिमा अहासुत्तं अहाकप्यं जाव अणुपालिया भवई ५०१२॥ पंचविहे ववहारे पं० २०-आगमे सुए आणा धारणाजीए, तत्थ आगमे सिया आगमेणं ववहारे पट्टवियव्वे नो से तत्थ आगमे | सिया सुएणं ववहारे पट्टवियव्वे सिया, नो से तत्थ सुए सिया जहा से तत्थ आणा सिया आणाए ववहारे पट्टवेयव्वे सिया, नो से तत्थ आणा सिया जहा से तत्थ धारणा सिया धारणाए ववहारे पट्टवेयव्वे सिया, नो से तत्थ धारणा सिया जहा से तत्थ जीए सिया जीएणं ववहारे पट्टवेयव्वे सिया, एएहिं पंचहिं ववहारेहिं ववहारं पट्टवेज्जा, तंजहा-आगमेणं सुएणं आणाए धारणाए जीएणं, जहा २ आगमे सुए आणा दारणा जीए तहा २ ववहारं पढविज्जा, से किमाह भन्ते!?, आगमबलिया समणा निग्गन्था, इच्चेइयं पंचविहं ववहारं जयार जहिं२ जहार तहिं२ अणिस्सिओवस्सियं ववहारं ववहरमाणे समणे निग्गन्थे आगाए आराहए भवति' ७१५।३। चत्तारि पुरिसज्जाया पं० २०-अट्ठको नाम एगे नो माणकरे माणकरे नाम एगे नो अट्ठकरे एगे अट्ठकरेवि माणकरेवि एगे नो अट्ठकरे नो माणकरे '७२९।४। चत्तारि पुरिसज्जाया पं० २०-गणटकरे नामं एगे नो माणकरे माणको नामं एगे नो गणटुकरे एगे गणटुरेवि माणकरेवि एगे नो गणटकरे नो माणकरे '७३३' ।। चत्तारि पुरिसज्जाया ॥श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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