Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org सारियस्स ओसहीओ संथडाओ, तम्हा दावए, नो से कम्पइ पडिगाहेत्तए । ३३ । सांरियस्स ओसहीओ असंथडाओ, तुम्हा दावए, एवं से कम्पइ पडिगाहेत्तए । ३४ । सारियस्स अम्बफला० एवं से कप्पड़ पडिगाहेत्तए० '७४' ३३५-३६ । सत्तसत्तमिया ‍ भिक्खुपडिमा णं एगूणपत्राए राईदिएहिं एगेणं छन्नउएणं भिक्खासएणं अहासुतं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं कारणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ । ३७। अट्ठअट्ठमिया णं भिक्खुपडिमा णं चउसट्ठीए राइदिएहिं दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं० अणुपालिया भवइ ।३८ । नवनवमिया णं भिक्खुपडिमा णं एगासीएहिं | राइदिएहिं चउहि य पञ्चत्तरेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव अणुपालिया भवइ । ३९ । दसदसमिया णं भिक्खुपडिमा णं एगेणं राइंदियसएणं अद्धछट्ठेहि य भिक्खासएहिं अहासुतं जाव भवइ ८५ ' १४० | दो पडिमाओ पं० तं० -खुड्डिया चेव मोयपडिमा महल्लिया चेव मोयपडिमा, खुड्डियण्णं मोयपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पड़ से पढमसरयकालसमयंसि वा चरिमनिदाहकालसमयंसि वा, बहिया ठाइयव्वा गामस्स वा जाव संनिवेसस्स वा वणसि वा वणविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा, भोच्चा आरुभइ चोद्दसमेणं पारेइ अभोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ जाए जाए मोए दिया आगच्छ‍ दिया चेव आइयव्वे, राई आगच्छइ नो आइयव्वे, सपाणे मत्ते आगच्छइ नो आइयव्वे, अपाणे मत्ते आगच्छइ आइयव्वे, एवं सबीए ससिणिद्धे ससरक्खे मत्ते आगच्छइ नो आइयव्वे, अबीए असिणिद्धे असरक्खे मत्ते आगच्छइ आइयव्वे, जाए ॥ श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ३० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only

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