Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वा थेरत्तं वा गणधरत्तं वा गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा '३६९'१२९॥ तइओ उद्देसओ३॥ ___ नो कप्पइ आयरियउवझायस्स एगाणियस्स हेमन्तगिम्हासु चरित्तए।१। कप्पइ आयरियउवझायस्स अपबीयस्स हेमन्तगिम्हासु चरित्तए नो कप्पड़ गणावच्छेइयस्स अप्पबीयस्स हेमन्तगिम्हासुचरित्तए३। कप्पड़ गणावच्छेइयस्स अप्पतइयस्स हेनन्तगिम्हासु चरित्तए।४) नो कप्पइ आयरियउवज्झायस्स अप्पबिझ्यस्स वासासासं वत्थए। कप्पइ आयरियउवझायस्स अप्पतइयस्स वासावासं वथए ६ । नो कप्पड़ गणावच्छेइयस्स अप्पतइयस्स वासावासं वत्थए १७ कप्पइ गावच्छेइयस्स अपचउत्थस्स वासावासं वत्थए ६५'८१ से गामंसि वा नगरंसि वा जाव संनिवेसंसि वा बहूणं आयरियउवझायाणं अपबिइयाणं बहूणं गणावच्छेइयाणं अप्पतइयाणं कप्पइ हेमन्तगिम्हासु चरित्तए अन्नभनं निस्साए।९। से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा बहूणं आयरियउवझायाणं अपतइयाणं बहूणं गणावच्छेइयाणं अप्पचउत्थाणं कप्पइ वासावासं चरित्तए अनमन्नं निस्साए १६२।१०। गामाणुगाम दूइज्जमाणे भिक्खू जं पुरओ कटु विहरेज्जा से आहच्च वीसुम्भेज्जा अस्थि या इत्थ अन्ने केई उक्संपज्जणारिहे (कप्पइ) से उवसंपज्जियव्वे सिया, नत्थि या इत्थ अन्ने केइ उवसंपज्जणारिहे अपणो कप्पाए असमत्ते कप्पइ से एगराइयाए पडिमाए जाणं जण्णं दिसं अन्ने साहम्भिया विहरंति तण्णं तण्णं दिसं उवलित्तए, नो से प्पड़ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पड़ से कारणपत्तियं वत्थए, तंसिं च णं कारणंसि निद्वियंसि परो वइज्जा वसाहि ॥श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49