Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा, तीहिं संवच्छरेहिं विइक्कन्तेहिं चउत्थगंसि संवच्छरंसि पट्टियंसि ठियस्स उवसन्तस्स उवयस्स पडिविरयस्स निविगारस्स एवं से कप्पइ आयरियत्नं वा जाव गणावच्छेयइत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा '२५१११३॥ गणावच्छेइए गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता मेहुणधम्म पडिसेवेज्जा जावज्जीवाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा॥१४गणावच्छेइए गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता मेहुणधम्म पडिसेवेज्जा तिण्णि संवच्छराणि० गणावच्छेइयत्तं० धारेत्तए वा१५। एवं आयरिए उवझाएवि दो आलावगा २५६११६-१७॥ भिक्खू य गणाओ अवक्कम ओहायइ तिण्णि संवच्छराणि धारेत्तए वा॥१८॥ एवं गणावच्छेययत्तं अनिविखवित्ता ओहाएज्जा जावज्जीवाए, निक्खिवित्ता तिणि संवच्छराइं०१९-२० एवं आयरिए उवझाएऽवि २७५१२१२२॥ भिक्खू य बहुस्सुए बझागमे बहुसो बहुआगाढानागाढेसु कारणेसु माइमुसावाई असुई पावजीवी जावजीवाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेययत्तं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा॥२३॥ एवं गणावच्छेइएवि० धारेत्तए वा।२४आयरियउवझाएवि।२५। बहवे भिक्खुणो बहुस्सुया बझागमा बहुसो० जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पइ जाव उदिसित्तए वा धारेत्तए वा॥२६॥ एवं गणावच्छेइयावि, धारेत्तए वा॥२७॥ एवं आयरियउवझायावि, धारेत्तए वा॥२८वहवे! भिक्खुणो बहवे गणावच्छेइया बहवे आयरियउवझाया बहस्सुया बझागमा बहुसो० आयरियत्तं वा उमझायनं वा पत्तिनं ॥श्री व्यवहारसूत्रम् ॥
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