Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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य संभोइया सिया कप्पड़ निग्गन्थाणं निग्गन्थीओ य आपुच्छित्ता निग्गन्थी अण्णगणाओ आगयं खुयायारं जाव तस्स ठाणस्स आलोयावित्ता पडिक्कमावेत्ता जाव उवद्वावित्तए वा संभुञ्जित्तए वा संव० तीसे इत्तरियं० धारेत्तए वा, तं च निग्गन्थीओ इच्छेज्जा सयमेव नियंठाणं जाव उवद्वावेत्तए वा संभुञ्जित्तए वा संवसित्तए वा तीसे इत्तरियं दिसं वा अणुदिसं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा' ४४ ' १३ । जे निग्गन्था य निग्गन्थीओ य संभोइया सिया, नो पहं कप्पड़ पारोक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, कप्पड़ हं पच्चक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, जत्थेव ते अन्नमन्नं पासेज्जा तत्थेव एवं वएज्जा 'अहं णं अज्जो ! तुमाए सद्धिं इमम्मि य २ कारणम्मि पच्चक्खं पाडिएक्कं संभोगं विसंभोगं करेमि', से य पडितप्पेज्जा, एवं से नो कप्पड़ पच्चक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, से य नो पडितप्पेजा एवं से कप्पड़ पच्चक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए' ८६ '१४। जाओ निग्गन्थीओ वा निग्गन्था वा संभोइया सिया नो ग्रहं कप्पड़ निग्गन्थिं पच्चक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, कप्पड़ हं पारोक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, जत्थेव ताओ अप्पणी | आयस्थिउवज्झाए पासेज्जा तत्थेव एवं वएज्जा 'अहं णं भंते! अ'मुगीए अज्जाए सद्धिं इमम्मि कारणम्मि पारोक्खं पाडिएकं संभोगं विसंभोगं करेभि' सा य से पडितप्पेज्जा एवं से नो कप्पड़ पारोक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, साय से नो पडितप्पेज्जा एवं से कम्पइ पारोक्खं पाडिएक्कं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए' ९४ ११५ । नो कप्पड़ निग्गन्थाणं निग्गन्थिं ॥ श्री व्यवहारसूत्रम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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