Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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अप्पणो अट्ठाए पव्वावेत्तए वा मुण्डावेत्तए वा सिक्खावित्तए वा सेहावेत्तए वा उवट्ठावेत्तए वा संभुंजित्तए वा संवसित्तए वा तीसे इत्तरियं दिसं वा अणुदिसं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा६। कप्पइ निग्गन्थाणं निग्गन्थि अनेसिं अट्ठाए पव्वावेत्तए वा० धारेत्तए वा '११८१७) नो कप्पइ निग्गन्थीणं निग्गन्थि अप्पणो अट्ठाए पव्वावेत्तए वा मुंडावेत्तए वा जाव धारित्तए वा८ कप्पइ निग्गंथीणं निग्गथिं अट्ठाए पव्वावेत्तए वा जाव धारित्तए वा नो कप्पइ निग्गंथीणं विइकिट्ठियं दिसं वा अणुदिसं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा।१०। कप्पइ निग्गंथाणं वि० घा० १४४१११ नो कप्पइ निगंथाणं विइकिट्ठाई पाहुडाई विओसवेत्तए।१२। कप्पइ निग्गंथीणं विइकिट्ठाई पाहुडाई विओसवेत्तए १७९।१३। नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा विइकिट्ठयं कालं सज्झायं उद्दिसित्तए वा करेत्तए वा१४। कप्पइ निग्गंथीणं विइकिट्ठए काले सज्झायं करेत्तए | निग्गंथनिस्साए २६४।१५। नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा असज्झाइए सम्झायं करेत्तए।१६। कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सज्झाइए सज्झायं करेत्तए।१७ नो कप्पइ निगंथाण वा निगंथीण वा अपणो असज्झाइए सज्झायं रेत्तए,
प्पड़ ण्हं अन्नमन्नस्स वायणं दलइत्तए'४०३११८॥ तिवासपरियाए समणे निग्गंथे तीसवासपरियायाए समणीए निग्गंथीए कप्पइ उवझायत्ताए उद्दिसित्तए।१९। पञ्चवासपरियाए समणे निग्गंथे सहिवासपरियायाए समणीए निग्गंथीए कप्पड आयरियताए उद्दिसित्तए'४१६१२० गामाणुगाभं दुइज्जमाणे भिक्खू अ आहच्च् वीसुम्भेज्जा, तं च सरीरगं केइ साहम्मिया पासेज्जा, श्री व्यवहारसूत्रम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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