Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिब्भटे सिया, कप्पइ तेसिं संनिसण्णाण वा तुयट्टाण वा उत्ताणयाण वा पासिल्लयाण वा आयारपकप्पे नाम अझयणे दोच्चंपि तच्चपि पडिच्छित्तए वा पडिसारित्तए वा '४४११८ जे निग्गन्था य निग्गन्थीओ य संभोइया सिया, नो ण्हं कप्पड़ तासिं अनमनस्स अंतिए आलोएत्तए, अस्थि या इत्थ केइ आलोयणारिहे कप्पइ से तेसिं अंतिए आलोएत्तए, अस्थि या इत्य केइ आलोयणारिहे कप्यइ से तेसिं अंतिए आलोएत्तए, नत्थि या इत्थ केइ आलोयणारिहे एवं ण्हं कप्पइ अत्रमनस्स अंतिए आलोएत्तए ७५११९१ जे निग्गन्था य निग्गन्थीओ य संभोइया सिया नो तेसिं कप्पइ अन्नमन्नस्संतिए वेयावडियं रेत्तए, अस्थि या इत्थ केइ वेयावच्चकरे कप्पइ एहं तेणं वेयावच्चं करावेत्तए, नत्यि याइ ण्हं इत्थ केइ वेयावच्चकरे एवं ण्हं कप्पइ अन्नमन्नेणं वेयावच्चं करावेत्तए'९०१२० निग्गन्थं च णं राओ वा वियाले वा दीहपढे लूसेज्जा, इत्थी वा पुरिसस्स आमज्जेज्जा पुरिसो वा इत्थीए आमज्जेज्जा, एवं से कप्पड़, एवं से चिटुइ, परिहारं च से न पाउणइ, एस कप्पे थेरकप्पियाणं, एवं से नो कप्पइ, एवं से नो चिट्ठइ, परिहारं च पाउणइ, एस कप्पे जिणकप्पियाणं तिबेमि' १४३॥२१॥ पंचमो उद्देसो५॥ भिक्खू य इच्छेज्जा नायविहिं एत्तए, नो से कप्पइ थेरे अणापुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, कप्पइ से थेरे आपुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, थेरा य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ नायविहिं एत्तए, थेरा य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पड़ नायविहिं ॥ श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ [ १९ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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