Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजो! एगरायं वा दुरायं वा, एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वथए, नो कप्पइ एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं वथए, जे तत्थ एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं वसइ से संतरा छेए वा परिहारे वा ११॥ वासावासं प्रज्जोसविए भिक्खू० छेए वा परिहारे वा २६२।१२। आयरियउवझाए गिलायमाणे अत्रयरं वएज्जा-ममंसि णं कालगयंसि समाणंसि अयं समुक्कसियव्वे, से य समुक्कसणारिहे समुक्कसियव्वे, से य नो समुक्कसणारिहे नो समुक्कसियव्वे, अस्थि या इत्य अन्ने केइ समुक्कसणारिहे से समुक्कसियव्वे, नत्यि या इत्थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे से चेव समुक्कसियव्ये, तंसिं च णं समुक्किटुंसि परो वएजा 'दुस्समुक्किळं ते अजो!, निक्खिवाहि, तस्स णं निक्खिवमाणस्स नत्थि केइ छेए वा परिहारे वा, जे तं साहम्मिया अहाकप्पेणं नो अब्भुढेंति सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा '२९०११३। आयरियउवझाए ओहायमाणे० ओहावियंसि० अयं समुक्कसियव्वे जाव सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा '३०३।१४। आयरियउवझाए सरमाणे परं चउरायपंचरायाओ कप्पागं भिक्खू नो उवट्ठावेइ, प्याए अत्थि याई से केइ माणणिज्जे कृप्याए, नत्थि याई से केइ छेए वा परिहारे वा, नत्थि याई से केइ माणणिज्जे ल्याए से संतरा छेए वा परिहारे वा१५। आयरियउवझाए असरमाणे परं चउरायाओ वा पंचरायाओ कप्पागं० छेए वा परिहारे वा॥१६। आयरियउवझाए सरमाणे वा असरमाणे वा परं दसरायकप्याओ कप्पागं भिक्खू नो उवट्ठावेइ, कृप्याए अस्थि याई से केइ माणणिज्जे कप्पाए नत्थि यांइसे के ॥ श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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