Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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नंदी
महावीररई
१. जयइ जगजीवजोणी-वियाणओ जगगुरू जगाणंदो ।
'जगणाहो जगबंधू जयइ जगप्पियामहो भयवं"। २. जयइ 'सुयाणं पभवो" तित्थयराणं अपच्छिमो जयइ । ___ जयइ गुरू लोगाणं, जयइ महप्पा महावीरो॥ ३. भदं सव्वजगुज्जोयगस्स भदं जिणस्स वीरस्स ।
भई सुरासुरणमंसियस्स भई धुयरयस्स ॥ संघ-स्थाई
४. गुणभवण' गहण ! सुयरयणभरिय ! दसण-विसुद्ध-रत्थागा ! ___ संघणगर ! भदं ते, अक्खंडचरित्त'-पागारा! ५. संजम-तव-तुंबारयस्स नमो सम्मत्त-पारियल्लस्स । __ अप्पडिचक्कस्स जओ, होउ' सया संघचक्कस्स ॥ ६. भई सीलपडागूसियस्स तव-नियम-तुरय-जुत्तस्स । ___ संघरहस्स भगवओ, सज्झाय-सुनंदि-घोसस्स ॥ ७. कम्मरय-जलोह-विणिग्गयस्स सुयरयण-दीहनालस्स ।
पंचमहव्वयथिरकण्णियस्स गुणकेसरालस्स ।। ८. सावगजणमहुअरिपरिवुडस्स जिणसूर-तेयबुद्धस्स ।
संघपउमस्स भई, समणगण-सहस्सपत्तस्स ॥ (जुम्म) ६. तव-संजम-मय-लंछण ! अकिरिय-राहुमुह-दुद्धरिस ! निच्चं ।
जय संघचंद ! निम्मल-सम्मत्त-विसुद्धजुण्हागा ! १०. परतित्थिय-गह-पह-नासगस्स तवतेय-दित्तलेसस्स ।
नाणुज्जोयस्स जए, भई दमसंघसूरस्स ।। १. जिणवसभो सललियवसभविक्कमगती 'भद्द सील' ० असौ च चतुर्थी विद्यते । __ महावीरो (चूपा)।
४. अखंडचारित्त (क, ख)। २. सुयाणप्पभवो (ख)।
५. होइ (क, ख) ३. चूणों 'गुण भवण'. असौ गाथा षष्ठी तथा ६. सुणेमि (मपा, हपा)।
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