Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 27
________________ २७. विज्जइ । दुवालसविहरस' य गणि पिडगरस पल्लवग्गे समासिज्जइ । समवायस्स' णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगठ्ठयाए चउत्थे अंगे, एगे सुयक्खंधे, एगे अज्झयणे, एगे उद्देसणकाले, एगे समुद्देसणकाले, एगे चोयाले पयसयसहस्से पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अर्णता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-निबद्ध-निकाइया जिणपण्णत्ता भावा आधविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति । से एवं आया, एवं नाया, एवं विण्णाया, एवं चरण-करण-परूवणा आघविज्जइ । सेत्तं समवाए। २५. से कि तं वियाहे' ? वियाहे' णं जीवा विआहिज्जति, अजीवा विआहिज्जंति, जीवाजीवा विआहिज्जति । ससमए विआहिज्जति, परसमए विआहिज्जति, ससमय-परसमए विआहिज्जति । लोए विआहिज्जति, अलोए विआहिज्जति, लोयालोए विआहिज्जति। वियाहस्स' णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निजुत्तीओ, 'संखेज्जाओ संगहणीओ", संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगठ्ठयाए पंचमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, एगे साइरेगे अज्झयणसए, दस उद्देसगसहस्साई, दस समुद्देसगसहस्साई, छत्तीसं वागरणसहस्साई, 'दो लक्खा अट्ठासोई पयसहस्साई पयग्गेणं'", संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-निबद्ध-निकाइया, जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जंति उवदंसिज्जति । से एवं आया, एवं नाया, एवं विण्णाया, एवं चरण-करण-परूवणा आघविज्जइ । सेत्तं वियाहे ॥ ८६.से कि तं नायाधम्मकहाओ? नायाधम्मकहास' णं नायाणं नगराई, उज्जाणाई, चेइयाइं, वणसंडाई, समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, 'धम्मायरिया, १. दुवालसंगस्स (पु)। २. समवाए (पु)। ३, ४. विवाहे (क, ख)। ५. विवाहस्स (क, ख)। ६. ४ (क, ख)। ७. समवायांगे स्थानद्वये प्रस्तुतसूत्रस्य चतुर- शीतिसहस्राणि पदानि निरूपितानि सन्ति 'वियाहपण्णत्तीए णं भगवतीए चउरासीई पयसहस्सा पदग्गेणं पण्णत्ता' (समवाय ८४।११); 'चउरासीई पयसहस्साई पयग्गेणं' (पइण्णग समवाय सू० ६३)। ८. विवाहे (क, ख)। ६. कहा (ख) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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