Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Sumatibai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
Publisher: Guru Pran Prakashan Mumbai
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| જીવાજીવ-વિભક્તિ
| 3८७
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किण्हा णीला य रुहिरा, हालिद्दा सुक्किला तहा ।
पंडुपणगमट्टिया, खरा छत्तीसई विहा ॥ शब्दार्थ:-किण्हा = १, आणी णीला = नीली रुहिरा = खास हालिद्दा = पीजी सुक्किला = सह पंडु = Hiऽ भाटी, इशपती सई, यहननावीस पणगमट्टिया = थीएसीमाटी खरा = ५२ पृथ्वी, 8ोर पृथ्वी छत्तीसई विहा = छत्रीस ५२नी छ.
भावार्थ:- ओमण पृथ्वीजयनसात प्राप्रमाणे-अणी, नीली, प, पाणी, स३६, पांडुरंगनी ફિકાશ પડતી સફેદ તથા પનક કૃતિકા. ખર-કઠોર પૃથ્વીકાયના છત્રીસ ભેદ છે. ७४
पुढवी य सक्करा वालुया य, उवले सिला च लोणूसे । अयतंबतउयसीसग, रुप्पसुवण्णे य वइरे य ॥ हरियाले हिंगुलए, मणोसिला सासगंजण पवाले । अब्भपडलब्भवालुय, बायरकाए मणिविहाणा ॥ गोमेज्जए य रुयगे, अंके फलिहे य लोहियक्खे य । मरगयमसारगल्ले, भूयमोयगइंदणीले य ॥
चंदणगेरुय हंसगब्भे, पुलए सोगंधिए य बोधव्वे । ७७
चंदप्पह वेरुलिए, जलकते सूरकते य ॥ शार्थ:- पुढवी = शुद्ध भाटी, पानी माटी सक्करा = श६२, isuठेवी भाटी, ४२७ माह वालुया = वायु, नहीनी रेती उवले = 64, पाषा सिला = शिक्षा लोण = सवय ऊसे = लीस, पारी भाटी अय = सोढुं तंब = dij तउय = त्रपुर, थी२, रांगा सीसग = सीसुंरुप्प = याही सुवण्णे = सुपए वइरे = डी। हरियाले = २तास हिंगुलए = डिंगणो मणोसिला = मनःशिक्ष, भेनसिल सासग = ४सत अंजण = अं४न, सुरभी पवाले = प्रवास, भू अब्भपडल = अ५24, अप२५ अब्भवालुय = अझवाडी, अप२५नी ३ती बायरकाए = सामेहबा२ पृथ्वीडायना छ.
वे मणिविहाणा = भशिमोना मेह -गोमेज्जए = मे रुयगे = रुय अंके = dis फलिहे = २५टि लोहियक्खे = मोडिता मरगय = भ२७तम िमसारगल्ले = मसाबसमा भुयमोयग = (मु४मोय इंदणीले = छन्द्रनील चंदण-गेरुय-हंसगब्भे = यंहनरत्न, गेरुरत्न, उंसगभरत्न पुलए सोगधिए = पुनरत्न, सौगंधित रत्नचंदप्पह-वेरुलिए = चंद्रप्रभ रत्न, वैडूर्य रत्न जलकते = xesiत भाव सूरकते = सूर्यsiत भलि. मा ५२ पृथ्वीजयन। 3 (मेह बोधव्वे = लोऽय. भावार्थ :- (१) शुद्ध पृथ्वी (२) श६२(3) वा (४) पाषा (५) शिक्षा (5) Aqeu (७) पारी भाटी (८) खोद () ij (१०) थी२(u) (११) सीसुं (१२) यांही (१३) सोनू (१४) 4% (डी.) (१५) डरितास, (१७) डिंगणो (१७) मनः शिख (१८) ४सत, (१८) सूरभो (२०) प्रवास( u) (२१) अप२५ (२२) अप्रवासु. मा पाइ२ पृथ्वी आयना मेछ.
(२७) गोभे रत्न (२४) रुय रत्न (२५) रत्न (२६) २६टि रत्न (२७) सोडिताक्षरत्न
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