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विषय-सूची
श्लोक
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,, ४६, ४७,४८ वाणी का विवेक ।
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२४ खान-पान के संग्रह का निषेध |
२५ रूक्षवृत्ति आदि विशेषण युक्त मुनि के लिये क्रोध न करने का उपदेश ।
२६ प्रिय शब्दों में राग न करने और कर्कश शब्दों को सहने का उपदेश ।
२७ शारीरिक कष्ट सहने का उपदेश और उसका परिणाम दर्शन |
२८ रात्रि भोजन परिहार का उपदेश ।
२६ अल्प लाभ में शान्त रहने का उपदेश ।
३० पर तिरस्कार और आत्मोत्कर्ष न करने का उपदेश ।
संवरण और उसकी पुनरावृत्ति न करने का उपदेश | छिपाने का उपदेश ।
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३१ वर्तमान पाप के
३२ अनाचार को न
३३ आचार्य वचन के प्रति शिष्य का कर्त्तव्य ।
२४ जीवन की क्षणभंगुरता और भोगनिवृत्ति का उपदेश ।
३५ धर्माचरण की शक्यता, शक्ति और स्वास्थ्य सम्पन्न दशा में धर्माचरण का उपदेश ।
कषाय
३६ कपाय के प्रकार और उनके त्याग का उपदेश ।
३७ कपाय का अर्थ |
३८ कषाय - विजय के उपाय ।
३६ पुनर्जन्म का मूल कषाय ।
४० विनय, आचार और इन्द्रिय-संयम में प्रवृत्त रहने का उपदेश ।
४१ निद्रा आदि दोषों को वर्जने और स्वाध्याय में रत रहने का उपदेश ।
४२ अनुत्तर अर्थ की उपलब्धि का मार्ग ।
४ बहुश्रुत की पर्युपासना का उपदेश ।
४४, ४५ गुरु के समीप बैठने को विधि ।
४६ वाणी की रखलना होने पर उपहास करने का निषेध |
५० गृहस्थ को नक्षत्र आदि का फल बताने का निषेध ।
५१ उपाश्रय की उपयुक्तता का निरूपण ।
ब्रह्मचर्य की साधना और उसके साधन
५२ एकान्त स्थान का विधान, स्त्री-कथा और गृहस्थ के साथ परिचय का निषेध, साधु के साथ परिचय का उपदेश ।
५३ ब्रह्मचारी के लिए स्त्री की भयोत्पादकता ।
५४ दृष्टि-संयम से बचने का उपदेश ।
५५ स्त्री मात्र से बचने का उपदेश ।
५६ आत्म- गवेषिता और उसके घातक तत्त्व ।
५७ कामरागवर्धक अंगोपांग देखने का निषेध ।
५८, ५१ पुद्दल परिणाम की अनित्यता दर्शनपूर्वक उसमें आसक्त न होने का उपदेश |
६० निष्क्रमण कालीन श्रद्धा के निर्वाह का उपदेश ।
६१ तपस्वी, संयमी और स्वाध्यायी के सामर्थ्य का निरूपण ।
६२ पुराकृत मल के विशोधन का उपाय ।
६३ आचार - प्रणिधि के फल का प्रदर्शन और उपसंहार ।
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