Book Title: Agam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 112
________________ अनंतक अणच १२२,१२६,१२,१३०,१३५ से १३७, १३ से १४२:१६।३७१७१४२१८१३, १४, २७,४५,५९,६४,७७,८२,६०,१०८३६८, १२,१४,१६,१८ से २६ ३२ से ३४,४४ से ४७,८३१२ ज २१६,५१,५४,७१,८५,१२१ १२६,१३०,१३८,१४०.१४६. १५४,१६०, १६३:३।२२३:५०२१,५० अनंतक (अनन्तक) ज ३।२११ अततो (अनन्तकृत्स्) ज ७।२१२ अनंतगुण (अनन्तगुण) प २०६४१५३।३८ से ४२ ४६ से ५२,६० से ६३, ७१ से ७४,६४ से ८७,६५ से १०२,१०५ से ११५.११८,१२२, से १२४,१७५, १७७ से १७६, १८२.१०३ ५०५.१२१,१५१.१५२.२०१२.१६, २५, १००४, ५.२६, २०११५४,५६,५८,६०,६१,७२,७६, १०:१२॥७,१०,२०,१५११३,१६,२६,२८,३१, २२.१७१५६,५९,६६,१४४, १४६ २१०१०४; २८१७.१०, ११.४१, ४४, ५३, ५६,५७,७०; २६।३५४० २१५१,५४, १४९, १५४, १६०, १६३ सू २०१७ अनंतनाणि (अनन्तज्ञानिन् ) २०४१३ अनंतपएसिप (अनन्तप्रदेशिक ) प ५३१३७,१३८, १६८,१६,१७१,१७२,१८७,२०२, २०३, २०६,२०७,२२४;१०११४,१७,२०,२४,२६, ३०,११।४६; १५।११,२४,१६।४३ अणतपदेखिय (अनन्तप्रदेशिक ) प ३२१७१ ५।१२७,१७२,१८६,२०७,२२३,२२४,१०११७, २५,१६३६; १७।१४० २८१५,२१,३०१२६, २८ अनंतभाग (अनन्तभाग ) १ ५१५, १२६,१२०७, १०, २०:१५।५७,२८।२२,३४,३६,६८ अनंतमिस्सिया ( अनन्तमिश्रिता ) प ११३६ अनंतय (अनन्तक ) प ११४८५२ अणंतर ( अनन्तर ) प २६४:६६६, १०१, १०३, १०५, ११० १११६६।१, २०११११:२०१६ से १५ Jain Education International ८१९ १७ से २५२७,२६,३२,३४, ३५ से ४०, ४५ ५२:३४।१।१:३४११ से २ २६६२३१७८ २११,४।३६,७२,७०,१५,१०३, १४३, १७८, २००,२०२,२१२:५।४३, ७१६, १०, १२,१३,१५ १६,१८ से ३० ४२,५०,६८,६१,७१,७२,७४ ७१,७७,७८,८०,८३,८४,सू १११४,१६,१७, २१,२४,२७,२२,३, ६।१, ८।१, ६।१:१३० १४; १९।२२२५११४१३४९२,१२५,४१२६, २८,३०,४३ अतरपच्छाकट (अनन्तरपश्चात्कृत) सू १ ११२ से ६ अनंतरपुरक्खड (अनन्त पुरस्कृत) सू८११ ११०२ से ६ अतरसिद्ध (अनन्तर सिद्ध ) प ११११,१२; १६०३५,३६ अनंतशेवगाढ (अनन्तरावगाढ) प ११ ६३,६४; २८।१३, १४,५१,६० अनंतवण्णग (अनन्त रोपपन्नक) प १५।४६; ३४।१२ अर्णतसमयसिद्ध (अनन्तगमयसिद्ध ) प ११३ अतानुबंध (अनन्तानुबन्धिन् ) प १४७; १६।१; २३।३५ अणसुपाति (अनपातिन् ) ज २०१०९ अणगार (अनगार) १५:११ १५४३ : ३६।७१ ज ११५ २४६५,६७३८५,८७, ८,६५,१६,१०० से १०२,१०४,११४, चं १० सू १५ ४ १०२.३२९ से १२:३०१३. १४, १६१,५०२१,२२,२७,२८,३२,३५ से ४१ ४३ अणगारचियगा (अनगारचितका ) जं २।१०५ से ११२ अणदारिया (अनगारित) प २०१७१८ ३।१३,१०६ से १०८,११२,११८,१३६. १३८, १३९ : ४१४, १९ : ५३२,४३ अणघ (दे०अक्षत) ज० ३१८१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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