Book Title: Agam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 281
________________ ४।१ ८१ ६८८ पुष्फमाला-पुरिस पुष्फमाला (पुष्पमाला) ज ५१।१ ज १११६,१८,२०,२३,२४,३५,४१,४६,४८, पुप्फय (पुष्पक) ज ५१४६।३ ५१,३११,१४,१५,२२,२६,५१,५२,१६१,४११, पुप्फ (वासा) (पुष्पवर्षा) ज ५१५७ १८,२६,३५,४५,५५,५७,६२,७१,८१,८४,८६, पुष्फविटिय (पुष्पवृन्तक) प ११५० ६०,१०३,१०६,१०८,१२६,१५१११,१५३, युएफाराम (पुष्पाराम) उ ३।४८ से ५०,५५ १६२,१६७,१६६.१७२,१७८,१८१,१८२, पुप्फारुहा (पुष्पारोहण पुष्पारोपण) ज ३११२,८८ १८४,१८५,१६०,१६१,१६३,१६४,१६६, पुरफासव (पुष्पासव) प १७६१३४ १६७,१९६ से २०३.२०५,२०६,२०८,२०६, पुप्फाहार (पुष्पाहार) उ ३५० २१३,२१५,२१६,२२८,२३३,२३५,२३८, पुफिय (पुष्पित) उ ३१४६ २४३,२४५,२६२,२६५,२६६,२७१,२७२, पुफिया (पुष्पिका) उ ११५:३११ से ३,१६,२०, २७४,२७७,५८.१०,३६,४७,६।१६ से २४; २२,२३,८७,८८,१५३,१५४,१६६,१६७,१७०; ७.१७८ सू२।१८।१:१३।१२,१५,१५।८ से १३:१८११४ से १७, २०१२ उ ३१५१ पुप्फुत्तर (पुष्पोत्तर) प १७११३५ पुरस्थिमपच्चत्थिम (पौरस्त्यपाश्चाल) सू २१ पुरफुत्तरा (पुष्पोत्तरा) ज २११७ शक्कर की जाति पुष्फोदय (पुष्पोदक) ज ३१६,२२२% पुरस्थिमलवणसमुह (पौरस्त्यलवणसमुद्र) ज ४।२६८ पुष्फोवयार (पुष्षोपचार) ज ७१३३११ पुरथिमिल्ल (पौरस्तर) प १६१३४ ज ११२०,२३, पुष्फोवयारसंठिय (पुष्पोपचारसंस्थित) सू १०११३० ४८,२।११७,३।२६.६५,६७,६६,१३५,१५१, पुम (पुंस्) प १११५ से १०,२४,२६ से २८ १५६.१७०,२०४,२१४,४।१,२३.५५,६२,८१, पुमवयण (पुंस्वचन) प ११।२६,८६ ८६,९८.१०८,१४३.१४७,१५६.१७२,२२६, पुर (पुर) ज २१६४ २२७,२३७,२३८,२६२,५।१४,४४,७११७८ पुरओ (पुरतस्) ज ३।१२,८८,१७८,१७६,२०२, सू २।११०।१४७:१३।१३ २१७,४।५,२७,१२२,१२४,१२७,५१३१,४३, पुरवर (पुवर) ज ३१३२.३५,२२१ ४४,४६,५७,५८,६०,६६ उ ३१५०,११२:४११६ पुरा (पुरा) ॥ १।१३,३०,३३,३७,४१२ पुरओउदग्गा (पूरत उदगा) सू६।४ पुराण (पुराण) ज ३।१६७ पुरंदर (पुरन्दर) प २१५० ज ५:१८ परिभकंठमाओवगता (पूर्वकण्ठगापमता) सूहा४ पुरक्खड (पुरस्कृत) स ८१ पुरिमड्ढ (पूर्वाद्धं) प १६।३० पुरजण (पुरजन) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, पुरिमाल (पुरिमताल) ज २७१ ७४,१४७,१६८,२१२,२१३ पुरिमद्ध (पूर्वाद्ध ) प १६:३०;१७।१६५ पुरतो (पुरतम्) सू २।२ पुरिस (पुरुष) पश६०,६६,७५,७६,८१,८४; पुरत्याभिमुह (पौरस्त्याभिमुख) ज ३१६,१२,२८, २१६४११६,३।१८३,६७६;१६४८,५२,५४; ४१,४६,५८,६६,७४,१४७,१८८,२०४,२१६ १७.१०८,१०६,१११ ज ३१७,८,१५,१६,२१, २२२,५।२१,४१,४७,६० उ१।४१,३१६१ ३१,३४,३५,७,८१,१२५,१६७६४,१७३, पुरस्थाभिमुहि (पौरस्त्याभिमुखिन् ) ज ४।२३,३५, १७६,१७८,१८३,१६६,२००,२१२,२१३ चं ४। २ ८।२,२०७ उ १११७,१८,४४, पुरस्थिम (पौरस्त्य,पूर्व) प ३१ से ३७,१७६,१७८ ४५,१२३,१३१,३११०,१११।४।१६ से १८; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394