Book Title: Agam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
बल विहीणया बहुबीया
बलविया (वलविहीनता ) प २३२२ बलाग ( बलाक ) ज ३।३५
बलागा (बलाका) प ११७६ बलावलोय (बलावलोक ) ज ३१८१ बलाहगा ( बलाहका ) ज ५। ६३१
बलाया ( बलाहका ) ज ४।२१०.२३८ बलि (बलि) प २१३१,३३,४०७ ज २।११३, ११६५५१ उ ३३५१,५६,६४ बलि ( बलिकर्मन् ) ज ३१५८,६६,७४,७७,८२, ८५, १२, १२६,१४७ सू २०१७ १११६, ७०,१२१ : ३।११०:५।१७
बलिपेढे (वलिपीठ ) ज ४।१४० बलिमोडय (दे० ) प १२४८४७ ad ( वव) ज ७ १२३ मे १२५
बहल (बहन) ज ३।१०६
बहलतर ( बहलतर ) प ११४८१३० से ३३ बहलिय ( बहलीक ) प १८६
बहली ( बहली ) ज ३१११
बहव (बहु) ज १।१३,३१,२१७, १०, २०,६५,१०१, १०२,१०४,१०६,११४ से ११६, १२०,३११०, ८६,१०३,१७८, १८५,२०६,२१०४।२२,८३, ६७,११३,१३७,१६६,२०३, २६६, २७६,५।२६, ७२ से ७४ मु १८।२३ उ ३१४८ से ५०,५५, ६२,१२३; ५।१७
बहस (बृहस्पति ) मु२०१८, २०१८६४ बहस देवया (बृहस्पतिदेवता ) सु १०/८३ ब्रहस्पति ( बृहस्पति ) प २४८ बहस्पतिमहग्गह (बृहस्पतिमहाग्रह ) सु १०।१२६ बह (हिरा) २०४८ हिता (हस्तात् बहिस् ) सू १६।२२।२७ बहिया (वहितात् बहिस् ) ज १३ २१७१७५८ सू१।२६।१.३ १६।२२।११।२३।२६, ४६.४८.५०.५५, १४५५१५,३३ बहु ( बहु ) प १।४८।५४२१२० से २७, ३० से ३५, ३७ से ३०,४१ से ४३,४६, ४८ से ५५, ५८ से
Jain Education International
६१,६३,६४,३।१८३६।२६; १११२२; १७१ १३९; २२११०१; ३६८२ ज ११४५; २१११,१२,५८,६५,८३,८८, १०, १२३, १२८१३३,१३४,१४५, १४८, १५१,१५७: ३१६,११,२४,३२।१,८१,८७,१०३, १०४ १०५,११७,१७८, १८५,१८६, १८८, २०४, २०६.२१६,२१६, २२१,२२२.२२५,४१२, ३, २५, २८ से ३०, ३४, ६०, १४०, १५६, २४८, २५०,२५१, २५२५११, ५, १६,४३,४६,४७, ६७,७३११२२१,२,७११६८, १८५, १६७,२१३, २१४ चं २४ सू १६/४; २१; १० १२६ १, २१४।१ से ८१८।२३; १९११६ ; २०१७ उ १।१६,४१,४३,५१,५२.७६ ७७,६३,६८, २।१०,१२,३ । ११, १४, २८, ५५, ८३, १०१,१०६, १०२, ११४, ११५, ११९,१२०.१३० से १३२, १३४,१५०,१६१,१६६,४।२४५।७.१०
६६५
बहुआ उपज्जव ( वह वायुः पर्यव) ज १।२२,२७,५० बहुउच्च तपज्जव ( वहुच्चत्वपर्यव) ज ११२२,२७,५० बहुग (बहुक) प २४६,५०,५२,५३,५५,६३ बहुजण (बहुजन ) ज ३।१०३ बहुणाय ( बहुज्ञात) उ ३३१०१ बहुतराग ( बहुतरक ) प १७।१०८ से १११ बहुतराय ( बहुतरक ) प १७२, २५ बहुपण ( बहुप्रतिपूर्ण ) ज २८ ३१२२५ उ ११३४, ४०, ४३, ५३, ७४,७८, २११२; ५३२८, ३६,४१
बहुपदिय ( बहुपठित) उ ३३१०१ बहुपरियार ( वहुपरिचार) उ ३२६६,१५२, ५३२६ बहुपरिवार (बहुपरिवार ) उ३।१३२ बहुपुत्तिय (बहुपुत्रिक) उ ३१६०, १२० बहुपुत्तिया (बहुपुत्रिका ) उ३१२११, ६०, ६२,६४, १२०,१२५४१५
बहुत्पयार ( बहुप्रकार ) ज २।१३१ बहुबीयग (बहुबीजक ) प ११३४,३६ बहुबीया ( बहुबीजक ) प १३६
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394