Book Title: Agam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 302
________________ मगर - मज्झिमउवरिम मगर (मकर) १ ११५५,५६,२।३० ज १।३७; २११०१,४१२४,२७,३६,६६,६१,५१३२ सु २०१२ मगरंग ( कराड ) ५।३२ मगरज्य ( मकरध्वज) न २११५ मगरमुहविट्टठाणसंटिय (मकरमुखविवृतसंस्थानति) ज ४१२४,७४ मगसिरी ( मार्गगिरी) सू १०७, १२ मगसीसावलियि (मृगशीपवतिसंस्थित) सू १०1३८ मगह (मगध ) प ११६३१ मगूस (दे० ) प ११॥ ७८ मग्ग (मार्ग) ज १६४:३१२२, ३६, ६३, ६६, १०६, १६२,१७५,१६० मग्गओ (दे० पृष्ठतम् ) ज ५१४३ मग्गण ( मार्गण ) ज ३१२२३ सग्गदय ( मार्गदय ) ज ५।२१ देसिय ( मार्गदेशिक ) ज ५२५, ४६ मगमाण ( मार्गत् ) उ३११३० मगरमच्छ ( मकरीषत्स्य ) प ११५६ मग सिर (मार्गशीर्ष ) ज ७ १०४, १४५, १४६९ सू १०।१२४ उ ३।४० मग्गसिर ( मृगशिरस् ) ज ७।१४०, १४५,१४६ मग्गसिरी ( मार्गशिरी) ज ७ १३७,१४०, १४५, १४६,१५२,१५५ सू १०१७,१२,२३,२५,२६ / मगिज्ज ( मार्गय् ) मग १२।३२ मघमत ( ० प्रसरत् ) ५ २१३०,३१.४१ ज ३१७, ८८५७ २०१७ मघव (मघवन् ) प २१५० ज ५११६ मघा ( मघा ) ज ७ । १२८,१२६,१३६,१४० सू १०१५,६२ मच्छ ( माय ) प ११५५,५६६६६८०१२ ज २११५, १३४,३४१७८,४३,२५,२८,५१३२,५८ सू २०१२ मच्छंडग (मत्स्याण्डक) ५।३२ मच्छंडिया (मत्स्यण्डिका ) प १७ १३५ २०१७ Jain Education International १००६ मच्छाहार (मत्स्याहार ) ज २।१३५ से १३७ मच्छि ( मक्षिका ) प ११५१११ fare ( मक्षिका पत्र ) प २२६४ मज्जण (मज्जन ) ज ३९,२२२ मज्जाघर (मज्जनगृह) ज ३६,१७,२१,२८,३१, ३४,४१,४६,५८,६६,७४,७७, ८५, १३६, १४७, १५३,१६८, १७७,१८७,१८८, २०१,२१८, २१६,२२२१।१२४; ५११६ मज्जणय ( मज्जनक) १६७ मज्जणविहि (मज्जनविधि ) ज ३२६, २२२ मज्जाया ( मर्यादा) ज २ १३३ मज्जार (गाजर) प १४४। १ चित्रक / मज्जाव (मज्जय् ) मज्जावेंति ज ५११४ मज्जावेत्ता (मज्जयित्वा ) ज ५३१४ मज्जिय (ज्जित ) ज ३६,२२२ मज्झ (मध्य) प ११४८/६३; २१२१ से २७, २७/३, २३० से ३६,३८,४१ से ४३,४६, ५० से ५६, ६४; ११ ६६,६७, २८११६,१७,६२,६३ ज ११८,३५,४६,४७३१, ५१, ३६, १७, २१, २४१३, ३४,३७३१,४५।१,१०६,१३१।३, १७७, १८५,२०६,२२२,२२४,२२५,४।१३,४५, ११०,११४,१२३,१४२।१,२,१५५,१५६११, २१३,२२२,२४२,२६०११, ५११४, १५, १७,३३, ३८, ७ ४५,२२२११ सू १२ ३०,२०१७ मज्झमज्झ ( मध्यमध्य ) ज २२६५, ६०, ३११४, १७२,१८३,१८४, १८५, २०४,२२४; ५३४४ सू २०१२ उ १११६,६७,११०, १२५,१२६, १३२,१३३;३।२६,१११,१४१, ४।१३, १५, १८५११६ मज्झति ( मध्यान्तिक) ज ७३६,३७,३८ मज्ज्ञगय ( मध्यगत) ज ७१२१४ मज्झयार (दे० मध्य ) ज ७।३२११ मझिम (मध्यम) २६४ ७ २३३१६५ ज २२५५, ५६,१५५,१५६; ४।१६,२१,५१३,१६,३६ सू २१३ उ ३ १००,१३३ मज्झिमउवरिम ( मध्यम उपरितन ) प २८६२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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