Book Title: Agam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 307
________________ १०१४ महंत तर ( महत्तर ) ज ४८०, १०२ महग्गय ( महाग्रह ) ज ७।११३ महाह ( महाग्रह ) ज ७३१, १०४,१७० सू १०११३०; १६१५,८ १११३,१५१३, १६, २११४, ७, १६२२१६, १३, २०१८ उ ३२५, ८४ से ८६ महग्गहत्त ( महाग्रहत्व ) उ ३१८३ महग्घ ( महार्घ ) ३८५, २०७, २०८, २२२; ५५५४ सू २०१७ उ १।१६,४२, ३१२६, १४१, ४।१२ महज्जुइ ( महाद्युति) ज ११२४, ३१: ३ ११५, १२४, १२५,२२६; ४।१६५६५११८ महज्जुइय ( महाद्युतिक ) प २०४६ महज्जुतीय (महाद्युतिक ) प २२३०, ४१३६।८१ महढिय (महद्धिक ) प २१४६ महड्ढीय (महद्धिक) ज ४।१७७ महण ( मथन ) ज ३।२२१ महत (महत्) सू १८।२३ महति ( महती ) ज ३१३१ महतिमहालय (महती महत् ) प २२६३ महत्तरंग ( महत्तरक) उ १११६ महत्तरगत ( महत्त रकत्व ) प २१३०,३१,४१,४६ ज ३११८५,२०६,२२१५।१६ उ ५ १० महत्तरिया ( महत्तरिका ) ज ४।१८६५।१ से ३, ५ से १०,१२ से १७ उ ३६० ४/५ महत्थ ( महार्थ ) ज ३।२०७, २०६५/५४,५५ महदंडय ( महादण्डक ) प ३।११२ महद्दह (महाद्रह ) ज ५।५५; ६।१७ महत्था ( महाप्रस्थान ) उ ३२५५ महत्व ( महात्मन् ) ज ३ ७७, १०६ महम्बल ( महाबल ) प २।३०,३१,३६।८१ उ ५३२५ महया (महत्) ज ११२६,४५,२२१२,६५,३२,१२, २२,३६,७८,८२,८८,८६,६३,६६, १०२, १०६, १५५,१५६,१८०, १८५, १८७,२१२, २१३, २१४,२१८; ४।२३,३८,६५,७३,९०,६१,१७७; Jain Education International महंत तर महाण ५१२२,२६,५६,५७,५८,७२,७३,७।५५,५८, १७८१८४ सू १६/२३,२६ उ १।१०,२३, २६,६०,६२,६५,६८,६६,७२,८५,८७,९१ से ६३,१३८, १३६, ५८, ११,१६,२०,२७ महरिह ( महार्ह ) ज ३१६,८१,११७, २०७, २०८, २२२; ५।५४ महव्वय ( महाव्रत ) ज २१७२ महा ( मघा ) ज ७ १४७, १५०, १६२,१६३ १० ११ से ४,६,१४,२३,६६,७०,७५,८३.१२०,१३१ से १३३ महाओहस्सर ( महौघस्वर ) ज ५।५१ महाकंदिय ( महाऋन्दित ) प २१४१,४२,४७१ महाकण्ह ( महाकृष्ण ) उ १७ महाकच्छ ( महाकच्छ) ज ४११८२ से १८५ महाकच्छकूड ( महाकच्छकूट ) ज ४।१८६ महाकम्मतराग ( महाकमंत रक ) प १७१४, १६ महाकाय ( महाकाय ) प २१४१,४५, ४५१२ महाकाल ( महाकाल ) प २२२७, ४४, ४५, ४५११, २/४६, ४७ ज ३।१६७११,८,१७८ २०१८, २०१८/५ उ ११७ महाघोस ( महाघोष ) प २२४०१७ ज ५१४८, ४६ महाचाव (महाचाप) ३१२४१४, ३७२, ४५१२, १३१।४ महाजस ( महायशस् ) स १७।१;२०११, २ महाजाइ ( महाजाति) १|३८|३२|१० महाजुतिय ( महाद्युतिक ) प १७।१२० १,२ महाजुतीय (महाद्युतिक ) प २१३४ महाजुद्ध ( महायुद्ध ) ज २१४२ महाण (महानदी) ज १११६,१८,२०,४८,२११३३; १३४,३८१,१४,१५,१८,५१,५२, ७६.७८,८१, ६७ से १०१,१११,११३, १२८, १४६ से १५१, १६१,१६४,१७०,४।२३, २४, २५,३५,३६,३८ से ४०, ४२,५७,६५ से ६७,७१,७३,७४,७७, ७८,६४,६० से १२, १४, १५, ११०, १४१, १४३, १६७, १६६, १७४, १७७,१७८, १८१,१८३ से १८५,१८७, १८६, ११०, २००, २०१,२०२, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394