Book Title: Agam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
पेच्छिज्जमाह-पोलिंदो
९६१
४।१२३,१२४;५।३३
१६:३३,३४,१७।२,२५, २१:१।१,६५,६६; पेच्छिज्जमाण (प्रेक्ष्यमान) ज २१६५:३।१८६,२०४ २३।१३ से २३:२८।२०,२२ से २४,३२,३४, पेज्ज (प्रेम) प १११३४।१।२२।२०
३६,३६ से ४२,४४,४५,४८,६६,६८ से ७१. पेज्जणिस्सिया (प्रयोनिधिता) १११३४
१०५,३४११११,३४१६.१६,२०,३६।५६,६१, पेढ (पीठ) ज ४११४३,२०८; ५१३
६२,६६.७०,७३,७४,७६,७७.७६ से ८१; पेम्म (मेमन्) ज २१२७
ज १६, ३१६२,५२१,७,७।२११ सू ५।१; पेरंत (पर्यन्त) ज ११६ ; ३११२६।४।४।१४३, ७१,६१,२०१२ २४५,२४६,२५१७१७८
पोग्गलगति (पूद्गन्दगति) प १६१३८,४३ पेलव (पे१५) ज ३१२११:५।५८
पोग्गल स्थिकाय (पुद्गलास्तिका) ५३१११४ पेस (प्रेः) ज २२६
११५,१२०,१२२ पेस (प्र. इ) पेसिज्ज इ उ ११२८ पेसेइ पोग्गलपरियट (पुदगल परिवर्त) प १८१३,२७,४५, उ १।११० पेसेमि उ १।१०६ पेसेमो
५६,६४.७७,८३,६०,१०८ उ ११२७ पसेह उ १११०७ पेमेहि उ ११११५ पोच्चइ (दे०) उ ३.१३० पेसल (पेशल) प १७११३४
पोट्ट (दे०) २४३ पेसित्तए (पितुम्) १।१०७
पोलिया (पोट्टालिका) ज ५११६ पेसिय (प्रेपित) उ १३११६,१२७
पोवई (प्रौष्ठादी) ज ७४१३६,१४२,१४८,१५१,
१५५ पेसुग्ण (पशुन्य) प २२१२०
पोवती (प्रौष्ठपदी) सू १०७,६,२१,२३,२६ / पेह (प्र- ईक्ष् ) पेहति प १५५०
पोट्टक्य (प्रौष्ठपद) मू १०१५,१२०,१५३ पेहमाण (प्रेक्षमाण ) प १५:५०
पोडइल (पोटगल) प ११४२११ तल तृण पेहुणमिजिया (पेहुण' मजिका) १७.१२८
पोतिया (दे०) ११५११ पोंडरीय (पौण्डरीक) प ११४६,७६ ज ४।३,२५
पोत्तिय (पौत्रिक) उ ३१५० पोंडरीयदल (पौण्डरीकदल) प १७।१२८
पोत्थगग्गाह (पुस्तकग्राह) ज ३।१७८ पोक्ख (प्र-+उक्ष) पोखेद उ ३५१
पोत्थयरयण (पुस्तकरत्न) ज ४।१४० पोक्खरस्थिभय (पुष्करास्थिभार) ज ४७
पोत्थार (पुस्तकार) प ११६७ पोक्खरपत्त (पुस्करपत्र) ज ३।१०६
पोरग (पोर) ११४४।१ इक्षु पोक्खरवर (पुष्करवर) सू१९६१५३१,२
पोराण (पुराण) प २८१२०,२६,३२,६६ पोक्खरवरदीव (पुष्करवरद्वीप) सू १६११५
ज १११३,३०,३३,३६,४२ पोक्खल (पुष्कर) प ११४६
पोरिसिच्छाया (ौरुषीच्छाया)म् ११६।
३१ से ३ पोक्खलस्थिभय (पुष्करास्थिभाग) प ११४६ पोरिसी (पौरुषी) ज ७११५६ से १६७ मु १०।६४ पोक्खलावतीचक्करदिविजय
से ७४ (पुष्कलावतीचक्रवति विजय) ज ४११६७ पोरिसीच्छाया (पौरुषीच्छाया) चं २३ पोग्गल (पदगल) १९८४:३।११२,१२४,१७५, पोरेवच्च (पौरपत्र पौरोवत्य) प २।३० से ३३, १७६,१८० से १८२,५३१४०,१४३,१४५,
३५,४१,४८ से ५१ ज १।४५; ३।१८५.२०६. १४७.१५०.१५४.२३३,२३४,२३६ से २३६,
२२१,५।१६ उ ५।१० २४१,२४२,६२६१५१४० से ४७.४६: पोलिंदी (पोलिन्दी) ५ १६८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394