Book Title: Agam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 279
________________ १८६ २१८५।१३,१५,१६,५५,५६,६२,६७,७०, ७३,८६,९९,१३०,१३२.१३५, १३७,१३२, १४२, १४४, १४६, १४६,१५२, १५६,१५९. १६२,१६५,१६,१७१.१७२,१७६,१००, १८३, १८६, १८६,१६२,११६,१६६,२०२, २०६, २१०, २१३,२१७, २२०, २२३, २२७,२२६, २३३,२३६,२३८,६२४ से २६,२० से ४२, ७४,७६,७७, ११०, ११२:२२; १०७ से १२, २२ से २४; १२१२४, ३३ १४ १५ १५१४ से ६, ६,१०,४२,५७,६१,६२,०५,०६,१२,६३ १६.४,६ से १७११४, १७, २८,२९,३३,४१ से ५५,१५,१०२,१०४,१३१ से १३४,१५८, १६२,१६४; १६१२२.१२.११२.११८,१२१. १२२,१२४,१२७;१६१२,३,२, २०१४, ७, १६. ३०,३५,४१ से ४४,४६ से ४८,५३,५४ २१/३७,६७, २२१६८,६६,६५,६६, २३४८ से ५०,६५,६१ से ७६,८१,८३ से ६६०० से १०,१५,१८, ६६,१०१ से १०४,१०६,१११ से ११८,१२८,१२६,१३१ से १३३,१५४,१७२ २४१६,८,२६६,१०; २८ ७६ से ६७,६६, १०६,११०,१२६,१४५ २२१८, १९, २०, २१: ३०११२,१८,२०,२२,३११२,३,६६३२१३,४,६, ३३१७ से २० से २६,२८,२६,३२,३३,३६० ३४७ से ६,११,३५०३.११.१९,२२:३६८३४, ५०,५१,५५ से ५७ न ४।२०४,२१०, २५०, २५६,७।६३ ७४,७७,८३,८४,१०८, १४२ से १४४ २ ३ १० १५१: १८/१० से १३,३५, ३६:११०५.६,११.१५,१२,२१,३१,३५,३८ उ २।१३:३१८,२१,२६,१४, १५६,१६९ ४।५ ५१२३ (प्र) ३।१२१ पुति १११६२,६२,८५१०३० २११६१२।११५, ११७ज्जति २०३१४५ पुट्ठे ( स्पृष्ट) ए २६४११०,१११११६१.६२. Jain Education International पुच्छिन्न- युडविच्काइव .६६ १,१५।१।१, १५:३६ से ४०, ४५, २०१३६; २२४५६:२३।१३ से २३:२८१११,१२,५७,५८ ज १११८,२०,२३,४८३३५४११,५५,६२, ८१,८६,९८,१०८,१७२६११.२३७१४०, ५०, ५३ पुड (ट) ज ५१४,१७ १३५५,५७,६१,६२, ८०.८२,०६,८७३।११४ पुढवि (पृथ्वी) प १२०६१.१०४६३८ ११५३. २११.२० से २७.३० से ३७,४१ से ४३,४६, ४८ से ५१,६३,६४३३२१ से २३.१०३४९४ से २४:६।१० से १६, ४५.५१,७३७८,८० ८०११,२६१८६,११,१२,१००,१०६,१०११ से ३,११।२६ मे २०१५।५५।२१६।२६ १७१३३; १८२१०७,११६.२०१६ से १०,३८ से ४२, ४९, ५६, २११५२, ५६,६६, ८५, ८७, १०:२२ २४ २८११२३३०३२५ से २८, ३३३ से ५,१६,१७ २०१६,१७,६८, ३१२२४; ४।२५४७२११२१४, २११,२१२ म १०/१२६१४ पुढविकाइय (पृथ्वीका ) प १११५.१६:२०१ से ३:३३२,५० से ५२,५४,६० से ६२.६५ ७१ से ७४,७६,८४७८६९५.१५६ से १०.१०३४।५८ से ६४,६६,५३,६,१०, ५२,५३,५५,५६,५८,४६,६२,६३६।१२,५३, ६२,०२,८३,०६,८१,१०२.१०३, ११५ ७२४६२३ ९६४ १६:१२१२०.२१,२३, २५, २६, १३।१६:१५।२० से २८,४३,५४,७२ से ७४, ७६. १२७१६ १२:१७।६५. १०२.२०१२४; २२/३७६२८१२८, २६२० ज २२७२ सू २१ पुढविकाइयत (पृथ्वीका क) १५२६:३६।२२ ज ७।२१२ पुढविकाय ( पृथ्वीकाधिक ) प १२३, २४; १५५७८५ १६१४ १७१८ से २२,४०,६०, ८७,६४,२५,६७, १०२.१६१२६, १२.३८,४०, पुढविकाय ( पृथ्वी काय ) सू २११ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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