Book Title: Agam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 272
________________ पविज्जुयायित्ता-पसत्य पविज्जुयायित्ता ( प्र विद्युत्य ) ज ३।११५ पविट्ठ ( प्रविष्ट ) प १५११११, १५१३६, ४०.४२ ज ३।१०५,१७८.२२३७।१७८ पविट्ठित्ता ( प्रविश्य) सू १०।१३६,१३।५,६ / पवित्थर ( प्र + वि - स्तु ) पवित्थरइ ज ३७६, ११६,११८ पविभत ( प्रविभक्त) ज १११८, २०, ४८, ४११६७. २१५ पविभत्ति (प्रविभक्ति) सू १५/३७ पवियरय ( प्रविचरित) ज ४१३, २५ पवियारण ( प्रविचारण) प १|१|७ पविरल ( प्रविरल ) ज २।१३३,५१७ ( पविस ( प्र + विश् ) पविसंति ज ३।१८३ परिसंत ( प्रविशत् ) चं ४२ से १८१२; १६२२४ परिमाण ( प्रविशत् ) ज ३१२०३७।१३,१६,२३ से २५, २८ से ३०,७२,७८, ८४ सू ११२, १४, १६,१८,१६,२१.२४, २७:२१३ ६ १ १३/६ से १०,१४ से १६ √ पवच्च ( प्र | वच् ) पवुच्चइ सू ५।१ पवूढ ( प्रव्यूढ ) ज ३६७, १६१,४१२३, ३५, ३८,४२, ६५,७१,७३,७७,६०,६१,६४,१७४, १८३, १९५,२६२ पस ( प्रवेश ) ज १११६,३८,३०१२,४१,४६,५८, ६६,७४,७७, १०६, १४७, १६८,२१२,२१३; ४१०, ११५, १२१,२१७ उ५१४३ पव्व (पर्व) प ११४८|४७ ११।२५ ज ७ १०६ से ११० सू १०।१२७:१२।१६, १७, १३ । १,२ पवत्त ( प्रवजितम् ) प २०१७,१८ उ ३१५०; ५३२ rease ( प्रव्रजित ) ज २२६५.६७,८५,८७ उ २६; ३११३,२१,५०,५५, ५८,६०,७६,७७,७९, ११३, ११८, ५३८ पव्वंस (दे० ) उ ५ २५ गिशिर ऋतु par (पर्वक ) प १०३३३१,११४१,१।४८।४६ ज २११४४ से १४६; ३।३१ √ पव्वज्ज] ( प्र + व्रज्) पज्जहि उ५।४३ Jain Education International पव्वज्जा ( प्रव्रज्या ) उ ३११६६ पव्वत (पर्वत) २३२,३६,५०,५११७११११ ज ११४६; ३ । २२४ सू ५।१; १६ २६ पव्वतराय ( पर्वतराज ) सू १६ २३ पति ( पर्वतेन्द्र ) सू ५। १ पव्यय ( पर्वक ) प ११४२११ पव्यय (पर्वत) प ३३, ३५, ४३, ४४; १६।३०; १७/१०६ ज १/१६,१९,२०,२३ से २५,२८, ३२, ३३,४६।१,४७,४८,५१, २१३१, ६०, ११७, ११८,११६,१३१,१३३,३।१,६१,८१,१३०, १३१,१३५ से १३७, २२४,४१२३, ३८,४८, ५७,५८,६०,६५,७१,७३, ८४, ६०, ६१,६४, १०३,१०६, ११०,१११,११३,११४,१४२, १६०,१६२,१६३,१६७,१६८, १७२,१७२, १७५,१७६,२००,२०५ से २०६,२१२ से २१६,२२०,२२१, २२५,२२६,२३४, २३५, २३७,२३९ से २४१, २५३, २५४, २५७, २५६, २६० से २६२, ५/४४,४७, ४८, ४९, ५५; ६।६।१; ६१०,१६,२३, २४,७१८ से १३,३१,३३,५५, ५८,६७ से ७२,९१,९२,१७१ ४१४, ७, ७ १; ८११८५ उ ३३५५,५५,६ √ पव्वय ( प्र + व्रज् ) पव्वयाइ उ ३।११२ पव्वयामि उ ३।१३;४।१४ पब्वयाहि उ ३।१०७ पoar (पर्वतक ) ज १११३ पत्रबहुल (पर्वतबहुल ) ज १०१८ पव्वयराय ( पर्वतराज ) ज ७।५५ सू ५।१७ १ पव्वयसमिया (पर्वतस मिका) ज ११२३, २५, २८ पत्रयाउय ( एर्वायुष्) ज ५।१६ राहु ( पर्व राहु ) सू २०१३ पसंत (प्रशान्त ) ज २१६८५/७०२६ दिल ( प्रशिथिल ) प २४६ & पसण्णा (प्रसन्ना ) उ १।३४,४६,७४ पत्त (प्रसक्त) ज ५१२६ पत्थ ( प्रशस्त ) प १७ १३३,१३४,१३८, २३५६, १०६,११६, ३४।१३ ज ११३७ २ १५; ३/३, ६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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