Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
तिर्यग्योनिक अधिकारका प्रथम उद्देशक २५ तिर्यग्योनिक जीवों का निरूपण
३७५-३९९ २६ पक्षियों की लेश्या आदिका निरूपण
३९९-४२० २७ गंधाङ्गो का निरूपण
४२०-४३० २८ स्वस्तिक आदिक विमानों का निरूपण
४३०-४४५ तिर्यग्योनिक अधिकारका दूसरा उद्देशा २९ संसारसमापन्नक जीवों का निरूपण
४४५-४५३ ३० भेदसहित पृथिवी आदि के स्थित्यादिका निरूपण ४५३-४७३ ३१ अविशुद्ध एवं विशुद्ध लेश्यावाले अनगार का निरूपण ४७३-४८१ ३२ सम्यक्-क्रिया एवं मिथ्याक्रिया ये दो क्रिया एक
काल में एक जीव में होने का निषेध ४८१-४८८
तीसरा उद्देशा ३३ भेदसहित मनुष्यों के स्वरूपका निरूपण
४८९-४९६ ३४ दक्षिणदिशाके मनुष्यों के एकोरुक द्वीपका निरूपण ४९६-५०२ ३५ एकोरुक द्वीपके आकार आदिका निरूपण
५०२-५३८ ३६ एकोरुकद्वीप में रहे वृक्षों का निरूपण
५३८-५६५ ३७ एकोरुकद्वीप में रहनेवाले के आकारादिरूप आदिका निरूपण ५६५-५९३ ३८ एकोरुकद्वीप की मनुष्य स्त्री के रूप आदिका निरूपण ५९३-६१६ ३९ एकोरुकद्वीपस्थ जीवों के आहार आदि का निरूपण ६१६-६३८ ४० एकोषकद्वीप में इन्द्रमहोत्सव आदि महोत्सव विषय प्रश्नोत्तर ६३८--६६२ ४१ एकोरुकद्वीप में डिब-डमर कलह आदि विषयका निरूपण ६६२-६८१ ४२ आभाषिक द्वीपका निरूपण
६८१-६८५ ४३ हयकर्ण द्वीपका निरूपण
६८५-७१६ ४४ देवों के स्वरूपका निरूपण
७१६-७३९ ४५ उत्तर दिशा में रहे हुवे असुरकुमार देवों का निरूपण ७३९-७४६ ४६ नागगकुमारों के भवनादिद्वारों का निरूपण
७४७-७७१ ४७ वानव्यन्तर देवों के भवन आदिका निरूपण
७७१-७८५ ४८ ज्योतिषिक देवों के विमान आदि का निरूपण ७८५-७८९ ४९ द्वीप एवं समुद्रों का निरूपण
७९०-८०४ ५० जगती के उपरके पद्मवरवेदिका का निरूपण
८०४-८२८ ५१ वनषण्ड आदिका वर्णन
८२८-९०२ ॥समाप्त ॥
જીવાભિગમસૂત્ર