Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Vivagsuya Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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बीयं अज्झयणं (उज्झियए)
७३३
च उसट्ठिगणियागुणोववेया एगणतीसविसेसे रममाणी एक्कवीस रइगुणप्पहाणा बत्तीसपुरिसोवयारकुसला नवंगसुत्तपडिकोहिया अट्ठारसदेसीभासाविसारया सिंगारागारचारुवेसा गीयरइगंधव्वणट्टकसला संगय-गया- भणिय हसिय-विहियविलास-सललिय-संलाव-निउणजत्तोवयारकसला संदरथण- जहण-व्यण-करचरण-नयण-लावष्ण-विलासकलिया' असियज्झया सहस्सलंभा विदिण्णछत्तचामर-वालवीयणीया कण्णी रहप्पयाया यावि होत्था । बहूणं गणियासहस्साणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगतं प्राणा-ईसर-सेणावच्चं कारे
माणी पालेमाणी विहरइ ।। ८. तत्थ णं वाणियगामे विजयमित्ते नाम सत्थवाहे परिवसइ–अड्ढे ।। ६. तस्स णं विजयमित्तस्स सुभद्दा नाम भारिया होत्था ॥ १०. तस्स णं विजयमित्तस्स पुत्ते सुभट्टाए भारियाए अत्तए उज्झियए नामं दारए
होत्था-अहीण - पडिपुण्ण-पंचिदिय-सरीरे लक्खण-वंजण-गुणोववेए माणुम्माण
प्पमाण-पडिपुण्ण-सुजाय-सव्वंगसुंदरंगे ससिसोमाकारे कंते पियदंसणे • सुरूवे !! ११. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा निग्गया।
राया निग्गो, जहा कूणिो निग्गयो । धम्मो कहियो। परिसा पडिगया
राया य गो॥ गोयमेण उज्झिययस्स पुटवभवपुच्छा-पदं १२. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई
नामंणगारे गोयमगोत्तेणं जाव संखित्तविउलतेयलेसे छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं
तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ १३. तए णं भगवं गोयमे छटुक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ,
बीयाए पोरिसीए झाणं झियाइ, तइयाए पोरिसीए अतरियमचवलमसंभते मूहपोत्तियं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाई पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणाई पमज्जइ, पमज्जित्ता भायणाई उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता
१. सं० पा०-संगयगय; पू० --ना० ११३८ ६. सं० पा०-अहीण जाव सरुवे। पादटिप्पणमपि ।
७. समोसरिए (क); समोसरणं (ग)। २. सं० पा०-सुंदरथण ° ।
८. ओ० सू० ५-६६ । ३. सं० पा०-आहेबच्चं जाव विहरइ । ६. ओ० सू० ८२। ४. पृ०---ओ० मू० १४१ ।
१०. सं० पा०-छटुंछट्टेणं जहा पण्णत्तीए पढम ५. होत्था । अहीण (घ)।
जाव जेणेव ।
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