Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Vivagsuya Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 162
________________ नाइ उष् य कुल जान विहराहि ११७२५ नाइ जाव आमंत १११४१५३ नाइ जाव नगरमहिलाओ नाइ जान परियणं नाइ जान परियणेण नाइ जाव परिवुडे नाइ बाब संपरिवुडे नाम का जाव परिभोग नाम जान परिभोग नासानीसासवायवोज्भं जाव हंस लक्खणं निक्लेव निक्लेवओ प्रभवगस्स निक्खेवओ चउत्थवग्गस्स निक्खेवओ दस मवग्गस्स निक्लेव पढमभयणस्स निक्लेवओ विश्वग्गस्स निगंधा जान पडिसुर्णेति निधाणं जाव विहरितए निगंधी वा निग्गंधी वा जाव पव्वइए निग्गंथे वा जाव पव्वइए निचो वा निग्गंधी वा जाव पंचसु निम्गंध वा २ जाव विहरिस्स निट्ठियं जाव विज्झायं निप्पाणे जाव जीवविप्पज ढे नियग० निम्बतियनामधेन्वे जाव चाउदंते निव्वाचासि जाव परिबडइ निसंते जाव अभण ण्णाया निसम्म जं नवरं महब्बलं कुमारं रज्जे ठावेमि निसीब जार कुमलोदतं Jain Education International ११२:१६ १०१४११९ ११६४८ १६ १।१६।५० १।१३।१५. ९।१४।५३ १।१६।९७ १०१४१३७ १।१।१२६ २२४६ शराब २४६ २११०१७ २३३६ २१२११० १।१६।२३ १।५।१२४ १२१८६१ १७१२७१।२०१३ १।११।३,५ १।२।७६ १११७/२५,३६ १।१५।१४ १।५।१२६ १११।१८४ १११८१५४ १२७/६ १।१।१६७ १।१६/३६ १।१४।५० PISIS १।१६।११५ For Private & Personal Use Only ११७१६ ११७१६ ११२।१२ ११११८१ १।१८ १ १५२० ११५२० १।१४।३६ १।१४:३६ आधारचूला १५२८ २२१२४५ २।१।४५ २१६३ २।१।६३ २।११४५ २।१।६३ १।१।२६ ११५३११४ ११२६८ ११२२६८ ११२२६६ ११२६८ १।३।२४ १।२१७६ १|१|१८३ १।२३२ १२१८१ १।१।१५६ राय० सू० ८०४ १।१।१०४ 818150 १.१६/१८७ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195