Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Vivagsuya Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 190
________________ १११७० ११२।१४ ११२।१,२ श२११,२ १।२।१४,१५ वृत्ति वृत्ति उक्कोस नेरइएसु उक्खित्त जाब सूले० १६ उक्खेवओ नवमस्स १।६।१,२ उक्खेवओ सत्त मस्स ११७५१,२ उग्छोसिज्जमाण जाव चिता १।४।१२,१३ उज्जला जाब दुरहियासा ११११५६ उम्मुक्क जाव जोवणग० १२११७० उम्मुक्कबालभावा जोवणेण स्वेण लावण्णण य जाव अईव १।६।३४ उम्मुक्कबालभावे जाव विहरइ ११६२६ उराले जाव लेस्से २।१२० उवगिज्जमाणे जाव विहरद ११९४८ उस्सुक्कं जाव दसरत्तं ११३१५२ एवं पस्समाणे भासमाणे गेण्हमाणे जाणमाणे ११११५० ओहय० १२।२७ पोह्य जाव झियाइ १२।२४;११६१६ ओहय जाव झियासि ११२।२५,१।६।१७ ओहह्य जाव पास १।२।२५१।६१७ करयल० ११३१४०,५५,५६११६।३८ करयल० १४३१५० करयल जाव एवं ११३१४४,१।४।२८ करयल जाव एवं ११३१५२,५३; १६६१३४ करयल जार पडिसुणेति १९३१५३,६२११६:३४,११६२०,४० करयल जाव वद्धावेइ १।९।४५ करेइ जाव सस्थोवाडिए कुमारे जाव विहरद १२६।३६ खुत्तो १४१०७० गंगदत्ता वि १७।३३ गामागर जाव सण्णिवेसा २।१।३१ गाहावई जाव तं धणे २१११२३ गिण्हावेइ जाव एएणं ११५२७ घाएति २ ११३।१४ चउत्थं छ? उत्तरेणं इमेयारूवे ११७।१०,११ चउत्थस्स उक्खेवओ ११४११,२ ११४१३६ १२४१३५ ओ० सू०८२ ना० १११६३ वृत्ति १४१२५० १०।२४ वृत्ति ११।२४ १।२।२४ ११३१४० ११३१४० १।११६६ ओ० सू० ५६ ११३१५५ वृत्ति १४११६६ १।१।७० १२२१५५ ओ० सू० ८६ वृत्ति १०२१६४ ११३।१४ श७१२।१५ १।२।१,२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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