Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Vivagsuya Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 137
________________ पढमं अज्झयणं (सुबाहू) ८०७ २६. तए णं से सुबाहुकुमारे समणोवासए जाए-अभिगयजीवाजीवे जाव' पडिलाभेमाणे विहरइ॥ ३०. तए णं से सुबाहुकुमारे अण्णया कयाइ चाउद्दसट्टमुठ्ठिपुण्णमासिणीसु जेणेव __ पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसाल पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दब्भसंथारं संथरइ, संथरित्ता दब्भसंथारं दुरूहइ, दुरूहित्ता अट्टमभत्तं पगिण्हइ, पगिण्हित्ता पोसहसालाए पोसहिए अट्ठमभत्तिए पोसहं पडिजागरमाणे विहरइ !! सुबाहुकुमारस्स पवज्जा-पदं ३१. तए णं तस्स सुबाहुस्स कुमारस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि' धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चितिए कप्पिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था—धण्णा णं ते गामागर'-*णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कब्बडदोणमुह-मडब-पट्टणासम-संबाह °-सण्णिवेसा, जत्थ णं समणे भगवं महावीरे विहरइ। धण्णा णं ते राईसर-तलवर-माउंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेटि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभियो, जे णं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए मुंडा' भवित्ता अगारामो अणगारियं पव्वयंति ।। धण्णा णं ते राईसर - तलवर - माडंबिय-कोडुबिय-इन्भ-सेट्ठि-सेणावइसत्थवाहप्पभियो, जे ण समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतिए पंचाणुव्वइयं *सत्तसिक्खावइयं–दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जति। धण्णा ण ते राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभियग्रो, जे णं समणस्स भगवरो महावीरस्स अंतिए धम्म सुणेति । तं जइ णं समणे भगवं महावीरे पुवाणुपुब्वि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागच्छेज्जा" इह समोस रेज्जा इहेव हत्थीसीसस्स नय रस्स बहिया पूप्फकरडय उज्जाणे कयवणमालपियस्स जक्खस्स जवखाययणे अहापडिरूवं प्रोग्गह अोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे ' विहरेज्जा, तए णं अहं समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं° पव्वएज्जा ॥ ३२. तए ण समणे भगवं महावीरे सुबाहुस्स कुमारस्स इमं एयारूवं १. ओ० सू० १६२ । २. पडिगिण्हइ (क)। ३. वरत्तकाले (क, ख)। ४. सं० पा०-गामागर जाव सण्णिवेसा । ५. सं० पा० – मुंडा जाव पव्वयति । ६. सं० पा०-~पंचागुब्वइय जाव गिहिधम्म । ७. स० पा० - इहमागच्छेज्जा जाव विहरेज्जा। 5. सं० पा०-भवित्ता जाव पव्वएज्जा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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