Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Vivagsuya Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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११११२०
उम्मुक्कबालभावे जाव जोव्वणग०
११४२२ उरालस्स क सिध मं जाव सुमिणस्स
१११६ उरालाई जाव भुंजमाणा
१।१२।४० उरालाई जाव विहरइ
१११४०२० उरालाई जाव विहरिज्जामि
१२१६११३ उरालाई जाव विहरिस्सइ
१।१६।२०४ उराले जाव तेयलेस्से
१।१६.१२ उरालेणं तहेव जाव भासं
११११२०४ उबवेए जाव फासेणं
१।१२।४ उव्वत्तिज्जमाणे जाव टिट्रियावेज्जमाणे
१।३।२२ उन्वत्तेइ जाव टिट्टियावेइ
११३१२६ उठवेत्तेंति जाव दंतेहि निक्खुडेंति जाव करेत्तए १४.१६ उध्वत्तेति जाव नो चेव णं संचाएंति करेत्तए १।४।१२ एगदिस जाव वाणियगा एगयओ जहा अरहन्लए जाव लवणसमुई श१७।५ एज्जमाणि जाव निवेसेह
१।८।१७१ एवं अत्थेणं दारेणं दासेहि पेसेहि परियणेणं १६१४७७ एवं कुलत्था वि भाणियल्वा । नवरं इम नाणत्तं-इत्थिकुलत्था य धनकुलत्था य । इस्थिकुलत्था तिविहा पुण्णत्ता, तं जहाकुलबहुयाइ य कुलमाउयाइ य कुलधूयाइ य। धन्नकुलत्था तहेव
११५७४ एवं जहा मल्लिणाए
१।१६।२०० एवं जहा विजओ तहेव सव्वं जाव रायगिहस्स ११८३१,३२ एवं जहा सूरियाभस्स जाव एवं
२११४१५ एवं जहेव तेयलिणाए सुब्वयाओ तहेव समोसढाओ तहेव संघाडओ जाव अणपविट्रे तहेव जाव सूमालिया
१६१६१६४-६७ एवं जहेव राई तहेव रयणी वि
२।११५७-६० एवं जाब घोसस्स
२।३।११ एवं जाव सागरदत्तस्स
१।१६।८८-६१ एवं पत्तियामि णं रोएमिणं
१११११०१ एवं पाएहि सीसे पोट्ट कायंसि
१११११५३ एवं पायंगुलियाओ पायंगुट्ठए वि कण्णसक्कुलीओ वि नासापुडाई
१।१४।२१
१।१६।११३
१।१२।४० १।१६।११३ १।१६:११३
११.६ ११२०२ १११२१३ १।३।२१ १1३२१ ११४१११ ११४१११ ११८६२
१८६६ १।१।४०,१११६६१३१
१.१४१७७
श।७३ ११८११५४ १११८०२०,२२ राय० सू०६६८
२१४१४०-४३
२।११४७-५० ठाणं २।३५६-३६२ १।१६१६३-६६
१११११०१ श६१५३
१११४।२१
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