Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Vivagsuya Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 122
________________ ७६२ विवागसुयं २६. तए णं तासि एगूणगाणं पंचण्हं देवोसयाणं 'एगणाइं पंच माइस याई" सव्वालंकारविभूसियाई तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुरं च महुंच मेरगं च जाइं च सीधू च पसण्णं च आसाएमाणाई वीसाएमाणाई परिभाएमाणाई परिभुजेमाणाई गंधव्वेहि य नाडएहि य उवगीयमाणाई - उवगीयमाणाई विहरंति ॥ २७. तए णं से सीहसेणे राया अद्धरत्तकालसमयंसि बहूहिं पुरिसेहिं सद्धि संपरिवुडे जेणेव कडागारसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कूडागारसालाए द्वाराई पिहेइ, पिहेत्ता कूडागारसालाए सब्वमो समंता अगणिकायं दलयइ ।। २८. तए णं तासिं एगुणगाणं पंचण्हं देवीसयाणं एगूणगाई पंच माइसयाइं सीहसेणेणं रण्णा पालीवियाई समाणाई रोयमाणाई कंदमाणाइं विलवमाणाई अत्ताणाई प्रसरणाई कालधम्मुणा संजुत्ताई ॥ २६. तए णं से सोहसेण राया एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमायारे सुबहु •पावं कम्म कलिकलुसं ' समज्जिणित्ता चोत्तीस वाससयाई परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोवमट्टिइएसु नेरइएसु ने रइयत्ताए उववणे ॥ देवत्ताए वत्तमाणभव-वण्णग-पदं ३०. से णं तो अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव रोहीडए' नयरे दत्तस्स सत्थवाहस्स कण्हसिरीए भारियाए कुच्छिसि दारियत्ताए उववण्ण ।। ३१. तए णं सा कण्हसिरो नवण्हं मासा' 'बहुपडिपुण्णाणं ° दारियं पयाया सूमाल सुरुवं ।। ३२. तए णं तीसे दारियाए अम्मापियरो निव्वत्तबारसाहियाए विउल असणं पाणं खाइमं साइम उवक्खडावंति, उवक्खडावेत्ता जाव' मित्त-नाइ-नियग-सयण संबंधि-परियणस्स पुरनो नामधज्जं करेंति होउ णं दारिया देवदत्ता नामेणं ।। ३३. तए णं सा देवदत्ता दारिया पंचधाईपरिग्गहिया जाव परिवड्डइ ॥ ३४. तए णं सा देवदत्ता दारिया उम्मुक्कबालभावा* *विण्णय-परिणयमेत्ता जोव्वण गमणुप्पत्ता रूवेण जोव्वणेण लावणेण य° अईव-अईव उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था ॥ १. पंच माइसयाई जाव (क, ख, ग, घ)। २. सं० पा०-सुबहु जाव समज्जिणित्ता। ३. रोहीतए (क, ख, ग)। ४. सं० पा०-मासाणं जाव दारियं । ५. वि०२३३२। ६. वि० ११२१४६ । ७. सं० पा०-उम्मुक्कबालभावा रूवेण लावण्णण य जाव अईव । जोव्वणेण For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

Loading...

Page Navigation
1 ... 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195