Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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प्र०टी०
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यमासितव्यं संचरितव्यवासाधनेतिगम्यते यदपिचभवेद्रव्यनातं द्रष्यप्रकारं खलगतं धान्यमलनस्थानाश्रितं क्षेत्रगतंकर्षण संश्रितरन्नमंतरगयंचत्ति अरण्यमध्यगतं वाचनान्तरे जलथलगखेत्तमंतरगयंवत्ति दृश्यते किञ्चिदनिर्दिष्टस्वरूपं पुष्पफलवक्
प्रवालकन्दमूलटणकाष्ठशर्करादीनि प्रतीतंअल्प वामूल्यतो वहुवातथैवमणवास्तोकं प्रमाणत: स्थ लकंवा तथैवनकल्पतेनयुज्यतेव * रहेग्टहस्थण्डिलादिरूपे अदत्तेखामिना ननुज्ञाते ग्टहीतुमादात जेइति निपातग्रहणे निषेध:उक्तोधुनातविधिमाह हरिणहणित्ति
अहन्यहनि प्रतिदिनमित्ययः अवग्रहमनुज्ञाप्ययथेह भवदीये अवग्रहे इदंइदंचसाधुप्रायोग्य व्यंग्टहीष्यामितिष्टछन तत्स्वामि नाएवं कुरुतेत्यनुमतेसतीत्यर्थों ग्टहीतव्यमादातव्यं वयितव्यश्च सर्वकालमवियत्तत्ति साधनप्रतिप्रीतिमतो यत्रतत्र याप्रवेश:स तथा अवियत्तत्ति अग्रीतिकारिणः सम्वन्धियशक्तपानंतत्तवातहर्जयितव्यमितिप्रदामःतथा अवियत्तपीठफलकशय्यामंतारकवस्त्रपात्र
थूलगंवानकाप्मतीउग्गहेअदिणंनिगाहेउजदिणिदणिउग्गहेअणुणवियगेण्हियव्ववज्जेयबोयसब्बका अवग्रहथंडिलनो विणदीधेलेवोजेदिनदिनप्रतें अवग्रहमणुजाणवोलेवो परिहरवोसर्वकालनेविर्षे अप्रतीतकारीयो तेहनेघरपेसवो
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