Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 434
________________ म.टी. योग्यं कल्याणमित्यर्थः तथाभव्यजनानुचरितं नि:शशितमशङ्कनीयं ब्रह्मचारीहि जनाना विषयनिस्प,हत्वादर्शकनियो भवति तथा ४३६ निर्भयंब्रह्मचारीहियशङ्कनीयत्वान्नियोभवतीति निस्तुपमिव निस्तुषं विशुद्ध तंदुलकल्प निरायासं नखेदकारणं निरुपलेपंसह A वर्जितं तथानिवृत्तवास्थ्यस्य ग्टहमिवग्रहं यत्तत्तथा बाहच कयामक्कनुतिष्ठामः किकुर्मः किंनकुर्महरोगिणश्चितयंत्येवं नीरागामुख मौसतेनीरागाच ब्रह्मचारिणएव तथानियमेनावश्यभावेन निःप्रकम्पमविचलं निरतिचारं यत्तत्तया व्रतान्तरहिसापवादमपिस्या दिदंच निरपवादमेवेत्यर्थः पाहच नविकिवित्रणबायपडिसिद्ध वाविजिणवरिंदेहि मोत्त मेहुगाभावंणविणारागदोसेहिं ततः पदयस्य कर्मधारयनित्ति स्टहनियमप्रकंपमितिभवतिः तपःसंयमयोर्मूलदलिक मूलदलंपादिभूतद्रव्यं तस्यनेमंति निमसदृशं यत्तत्तथा पञ्चाना महावताना मध्ये सुष्टु अत्यन्त रक्षितंरक्षणं पालनंयस्य तत्तथासमिति भिर्यासमित्याभिगुप्तिभिर्मनोगुप्त्यादि संनिस्वलेवनिवुएघरं नियमविप्पकंपतवसंजममूल दलियणम्मपंचमहब्वयसुरक्खियंसमितिगुत्तिगु भाषा पसंयमतेइनोमल दलतिमरूपथडावंधसरीखो पाचवतमाहिसुष्टुरूडीपरेराखवो पांचसमितित्रिणिगुप्त गुप्तोध्यानरूपप्रधानकवाड 印染器器带諾論需器器需器端 蹤器鑑聚苯张张莽荒器类器器器業署器器器業 सव

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