Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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प्र.टी.
४
पादिकाइन्ययः तप:संयमत्रह्मचर्यघातोपघातिका अनुचरतान मचयनकथयितव्या अन्यत:नचिन्तयितयावायतिजनेन द्वितीयभाव र
नानिगमनाया एवं स्त्रीकथापिरतिसमिति योगेन भावितोभयत्यन्तरामा पारतमनोयिरतग्रामधर्माजितेन्द्रियो ब्रह्मचर्यगुप्त म इति प्रकटमेवतयंति टतीयं भावनावस्तु स्त्रीरूपनिरीक्षणावजनं तच्च व नारीणा स्त्रीणा सितभणितं हास्यं सविकारंभणि
तंचतयाचेटितंहमन्यासादिविक्षितं निरीचितं गतिर्गमनंबिलासः पयोक्तलक्षणःमीडितद्य तादिकीडाएपा समाचारबन्दःवियो कितपूर्वोक्तलनगो विबोक:नाद्य नृत्य गीतंगानंवादितंवोणापाटनंगरीरसंस्थानंगखदीर्घादिकंवोंगौरवादिलक्षण:करचरणनय
नचिंतियवाएवंइत्योकहविरति समितिजोगेणभाविप्रोभवति अंतरप्पाघारयमणविरयगामध म्मेजितिदिएवंभचरगुत्ते २ ततिएनारीणहसिय भणियचिट्ठियविष्म क्खिय गतिविलासकीलीयं
भाषा
एगीपरस्तीनीकथाथवीनिवर्तसमतिजोगेकरी भाव्योवास्योहोर्दू अंतरात्माजीवमनेकरीब्रह्मचर्यनेविपासकतेथीनिवर्त्तविपयथी का जीत्याद्रीतमचर्यनेगुप्तिपालेर वीजीभायनास्त्रीनोइसवोगेलयो चेटानोकरवोविपरीतपणेदेखवो विलासगदिनेत्रविकारादिक

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