Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 467
________________ प्रसू० ४६८ हियंइमेहिपंचहिंवि कारणेहिमणवयण कायपरिरक्विएहिं णिचंबामरणंतंचएसोजोगोणिय व्वोधिइमयामतिमयाअणासवोअकलुसोअछिद्दोअपरिस्मातीअसंकिलिटोसुद्धोसवजिणमणुपात्रो एवंचउत्थं संवरदारंफासियं पालियंसोहियं तौरियंकिट्टियं श्राराहियं प्राणाएअणुपालियंभवति एवंनायमुणिणाभगवया पणवियंपरुवियं पसिद्ध सिद्धिवरसासणमिणंआधवियं सुदेसियंपसत्य गलिकही पांचेकारणेकरीराखे मनवचनकावा करी परिरक्षितएहवेकारणे सदाजावजीवलगेपर्वभावनारूपयोग्य निर्वदिवो चित्तनोधैर्यपणोमतिवंत कर्मरूंधवानोकारण निर्मलपापरहितछिद्ररहित कर्मजलवेनही जिहाकिसोइचित्तनोक्लेशनयौनिर्दो * पसर्वतीर्थकरनेणिअनुज्ञादीधीछे एणीपरेचोधोसंवरद्वारफरस्योहेतयुक्तिकरी वारसम्यग्उपयोगेकरीयादयो अतीचारटालये विशुहकर तीरिपहुंचात्यनेरायागलि उपदेश्योग्राराधे थानाकरीउत्तमसाधेपाल्योतिमपालेहो एणीपरजातपुत्वश्रीमहा को वीरभगवतेसामान्यपणेकडो विशेषपणेकदो विख्यातकीधोनिष्टितार्थतेइनो घरप्रधानशासनयाजाएहनोअर्थिकरी पाख्यात्योदेव 號涨談業業恭恭業兼差兼業業諾誤养蹤器恭 आपा

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