Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 468
________________ मल्टी० चर्पगुप्त इति एयमिदमित्यादिप्रव्ययनार्यनिगमनपान पूर्ववद्याप्य यं समाप्त नयमाध्ययनपिपरणः व्यायानंच नगराध्ययनम ४०० धुनास्वनिर्देशकममम्महमयानन्तरं मैयुनयिरमगामुकतच मर्ययापरिग्रपिरमणएभिवतीति नभिधानीव नित्ययं मम पत्रम मारभ्यते तवादिस्वमिदं जरित्यामन्विगो सपरिग्रसोधोंपकरणापर्जपरियायपण धर्मोपकर गागार्जिततवा संपतयेन्द्रिय कपायसम्ररणेयःमतयासचश्रमणोभयति चकारात्नत्यचर्यादिगुगा गुतो ति एतदेवप्रपश्यनाउ मारन्म पृथियाटापः परियो विधागत्याभ्यन्तरशतवयायोधर्ममाधनपजाधर्मोपकरणमूळचगातरस्तुमिच्यात्याविरतिरूपायप्रसादाच्योगमः पातचपुढयाई FE मुआरंभोपरिग्गडोधम्मसादग मोत्तमच्शयतत्यवन्झोएयरोमिच्छत्तमाई उत्तियनयोरासमाचारइन्दोत: तमादिरतोनिरत्तोयः नउत्य संवरदारसम्मत्तत्तिवेमि र जंवूअपरिग्गहंसंवृष्यसमणे प्रारंभपरिग्गशाओविरते फिरते भाषा तामनुप्वनीपरपदामांचिपकायोप्रगमाचउया संपरहारनोपर्वमपूर्ण भोजपरिगहरचित दीपायसंपखातेसाधकहीयेट थिव्यादिद्यारंभयभ्य तरवायपरियाथीविरम्योनिवर्तनियरत्योकोभमानमायालोभनकी एकपविरतिरानणपसंयमनिराग सूत्र MERRANEEM

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