Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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प्रटो.
१६६
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कानिएसम्प्रकाराणि तप'संवमनसाचर्यपातोपधातिकानि अनुचरतानह्मचर्यननैयानितानिकामोशोपकारीणियमणेन संयतेनत्र
चारिगोतिभाव लम्भत्तिलभ्यानि उचितानि दृट प्रेथिनकथयितनापिचन्प्रत पूतिनिपातः निगमयन्नाइए डितपिरतिममितियोगेनभावितोभवत्यन्तरारमा भारतमनोपिरतगामधर्मानिनेन्द्रियो यचर्वगुप्तइति पंचमंगति पक्षमा
तवसंयम भच रपायोवघाइयाई अणचरमाणेणं व भचरंनतासमणलम्भादव नकहेउ ने वियसुमरेउजेएवंपुवरयपुग्नकोलियं विरतिसमिइजोगेणभाविग्रोभवद् अंतरप्मापारयमणेण
विरयगामधम्मे जितिंदिएवंभचेरगुत्ते ४ पंचमगं आहार परिणयनिवभोयणविवज्जए संजएसुसाड जेचनोस्सरपनेगएपादिदे ने तमसंयमवायचर्यनदेशथकीपातथा मर्यय सीधातनाकरणार प्रापरतो ती ब्रह्मचर्यनसीरूम a चारित्रीयोलोभीनेदेयवायोग्यनची कहियायोग्यनकी संभारिवायोग्यनही जेमाधुएगीपरे पुर्यनीरीतेपुर्वलीकीडाविरमवारूपसमि
तियोगेफरीभाव्योवास्योहोर गंतरामाजीपरगतमनेकरी नियो द्रियनापिपयथी जिनेद्रियाश्तोनह्मचर्यगुप्तिकरीपाले४ पाच
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