Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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विशुद्धारागादिदोषरहितत्वेननिर्मलायासिद्धिः सतात्यतासैवगम्यमानत्वागति विशुद्धसिद्धिगतिजीवस्यखरूपं सेवनिलयइवनिलय स्वरूपेसर्वसिद्धानां निलयनाद्विसद्धसिद्विगतिनिलयः शास्वतंसाद्यपर्यवसितत्वात् अव्यावाधावधादिवाधारचितत्वात् अपुनर्भवस्ततः पुनर्भवसम्भवाभावात् प्रशस्त उक्तगुणयोगादेव सौम्योरोगादाभावात् सुख:सुखस्वरूपत्वात् शिव:सकलद्वन्दवज्जितत्यात् पचलःसन्द नादिवर्जितत्यात् अक्षयश्च तत्पर्यायाणामपि कथंचिदक्षयत्वात् अक्षतोवापूर्णः पौर्णमासिचन्द्रवत् तंकरोतीत्येवं शीलयत्तथामवार
ज्जवसाहूजणाचरियं मोक्समग्गंविसुद्धसिद्धिगइनिलयं सासयमव्वाबाहं अपुणम्भवंपसत्यं सोमं
सुहंसिवमयलमक्खयकरं जतिवरसाररक्खियं सुचरियंसु साहियंनवरिमुणिवरेहिमहापुरिस वंतप्रसंसानोठामतोछडोनही अंत:करणचोखाई सरलपणासहितसाधुजननेणेमाचस्यो मोननोमार्गविशाहमिहिनोगतिमरमें सासतोगावाधारहित वलतोअवतारनथी प्रशस्तरोगरहितमुखउपद्रवरहित अचलजेहनोचयनथी प्रधानसाधेपाल्यो शोभनअनु छानविशेपेउपदेस्यो गणधरादिकसाधू मोटागुणवंतपुरुषधीरसूरपुरुप धार्मिकधैर्शवंतपुरुषे सगलीवयसदानिर्दोषपाले कल्याण
器装旋盖器蒸茶器器装装装器機茶器滤茶器
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