Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 446
________________ म.टी. ४४८ 器聽器器器器輩器器器器器 चेन्द्रनमंसितानमस्कृताः येतेपापुज्जमर्चनीयं यत्तत्तथा सव्यजुगुत्तममंगलमग्गं सर्वजगदुत्तमाना मगलानामार्गउपायोग्य वाप्रधा औ नंयत्तत्तथादुष्वरिसंगुणनायकमेकदुई मनभिभवनीयगुणान्नयतिप्रापयतीति गुणनायकमेकमद्वितीयमसदृशं मोक्सपहस्मवडिंसग भूयंमोक्षपयस्यसम्यग्दर्शनादेरवतंसभूतं शेखरकल्पंप्रधानमित्यर्थः इतिदोधकार्य :तथायेनशुहचरितेनसम्यगासेवितेन भवतिसबा ह्मणोयथार्थनामत्वात् सुश्रमणःसतपा:सुसाधुनिर्वाणसाधकयोगसाधकःतथासइसत्तिसयथोक्तपिर्यथावद्वस्तुद्रष्टा:य:सईचरतिव्रह्म नमंसियपूयं सव्वजगुत्तममंगलमग्गं टुरिसंगुणनायकमेकं मोक्खपहस्सवडंसगभूयं ३ जेणसुनच रिएणंभवति सुबंभणोसुसमणोसुसाइं सुइसीसुमुणीसुसंजए सएवभिक्खूजोसुद्धचरतिबंभचरे * कनाउघाद्याछे द्वारजेणेएहवोब्रह्मचर्यभगवं तेवखाण्योर देवताचक्रव,दिनमेपले सर्वजगमांहिंजे उत्तममंगलिकछे तेइनोमार्गके श्री गोपराभवीनसकिई गुणनोनायक एकब्रह्मचर्यमोक्षपंयने मुगटसमांनएतावताअनेराइमोक्षनामार्गछे परंएसरीखोनथी जेणेंसा धर्माचसोहोई ब्रह्मवतनेपालवेव्राह्मण श्रमणदुःकरतपनोकरणहारतेहीजज्ञानदर्शनचारित्रनोसाधक सुष्टऋपिकडोमुनी 縱然紫器浴器端端器器器端論罪

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