Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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प्र.टी. ४२५
सूत्र
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प्रचुर धीरोबुद्धिमानक्षोभोवा परीपहेषु कायेनस्प शन नमनोरथमानेणटतीयसंवरमितिप्रक्रमगम्यं सततमध्यात्मनि पात्मानमधि कृत्यात्मालंवनं ध्यानं चित्तनिरोधस्त न युक्तोय: सतथातत्रात्मध्यानं अमुगेहं अमुककुले असुगसिस्म अमुगरम्महाणद्विएनमतविरा ___ मसकेसुक्ख भियव्वं अग्गिधूमोयनकायब्बो एवंसंजमबहुले संवरवहुले संवुडबहलेसमाहिबहुले
धौरकाएणफासयंत सययंअभप्मज्भाणजुत्ते समोएएवंएगेचरेज्ज धम्म एवंसिज्जासमितिजोगेण ____भावितोभवअंतरप्पाणिञ्च अहिकरणकरणकरावणपावकम्मविरदत्तमणुणाय उग्गहरुयोश्च वायुनोप्रभावडासमसाने खोभनकरे अग्नीधमाडोनकरीवोएणीपरे पृथिवीधादिराखवानेविषे बालसंयमग्राश्रवनेरूंधवेकरीव इलसंबर'द्रीसंबरवेकरीवडलसंवृत चितनेस्वस्थपणेकरीबडलसमाधि कायरकायाईकरीपालतोकायाकरीफरसता निरंतर आत्माखरूपनोचिंतवयोध्यानसहित समेभावेइमरागद्देषरहित आचरेचारित्रधम्म एणेप्रकारेउपाश्रयसमिति जोगेकरीभाव्योवा स्योहोई अंतरात्माजीवसदाअधिकरणकरवो कराववो पापकर्मधीविरमवो दीधोतिथंकरगणधरनीआजाई अवग्रहनीरुचिवाछा
आषा
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