Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 428
________________ मल्टी ४३० 能擺諜諜諜諜諜器端藥端装器 तपखिपुच अष्टमादिकारिए विनयप्रयोगेहितीर्थकरादानुजाखरूपादत्तादानविरमण परिपालितं भवतीति पंचमभावनानिगमनार्थ माह एवमुक्तन्यायेन भवत्यन्तरत्माकिंभूतः नित्यमित्यादिपूर्ववत् अयाध्ययनोपसंहारार्थमाह एवमिणं संवरस्सदारं सम्मंसंचरियंहोइ सुप्पणिहियं इमेक्षिपंचविं कारगोहिं मणवयणकायपरिरक्खिएईि निच्चामरणतंच एसनोगो नेयव्योधितिमयामतिमयाअणास म्मोतमहाविणो पजियवो गुस्सुसाइ तवस्सीसुथएवंविणएणभावित्रो भवतिअंतरप्मानिच्चं अहिकरणकरणकरावणपावकम्म विरते दत्तमणुरणायउग्गहस्यी५ एवमिणंसंवरस्सदारंसम्मंचरि यहोइसुपणिहियं इमेहिपंचहिंविकारणेहि मणवयणकाय परिरक्खिएहिं निचंपामरणंतंवएस यकरवोगुरुनेवि साधुनेवि तपनाकरणहारनेविषे एमीपरेविनयकरीने भाव्योअंतरात्माजीव सदामधिकरणकरवाकराववो पापकर्मतेथकीविरमवादीधोतिर्थकरनीमाज्ञा अवग्रहनीरुचिअभिलाष५एणेप्रकारेएप्रत्यक्षसंवरहारसम्यक्प्रकारे आचस्योहोरू डानिधाननीपरएपूर्षे कह्योपाचेकारणेकरी मनवचनकायाकरीराखें सदाजावजीवलगे पूर्वेभावनारूपजोग जाणीनेनिरवहिवा 加諾装器器装器擺端端器器業需罪諾器端梁諾米米 भाषा

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