Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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३८४
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सूत्र
सकथितमित्यादिपरिरक्षणवयाएत्ति यायत्पूर्ववत् नयरंद्वितीयस्य व्रतस्यालीकवचनस्य इति विशेष: पढमति प्रथमंभावनावस्तुमनु विचिन्त्यसमिति योगलक्षणं तच्चे वं श्रुत्वाकर्ण्य सद्गुरुसमीपे संवरटुंति संवरस्यमस्तावान्गपावादविरतिलक्षणस्य अर्थ प्रयोजनं मो
यं अत्तहिय पेच्चाभावियागमेसिभ सुद्ध'नेयाउय अकुडिलंअणुत्तरं सवढुक्वपावाणंविउस मणंतस्समापंचभावणाओ वितितस्सवयस्स अलियवयणस्स वेरमणपरिरक्व णट्टयाएपढमंसोऊण
संवरलु परमहंमुठ्ठ,जाणिजणं नवेद्यनतुरियनचवलं नकडुयं नफस्संनसाहसं नयपरस्सपौलाक वानेअर्ये सिद्धातश्रीमहावीरें रूडीपरेंकडोजीवने हितकारीयो परभवेअशुभफलदायक आगामिक कालेकल्पाणरूपनिर्दोषन्याय मार्गकुटिलपणारहित प्रधानसर्वदुःग्वनोहेतुपापतेश्नो उपसमावणचार तेनीजासंबरद्वाररूपएमागलिकतीस्थेमांचभावनाभाविए वासिएतेभावनावीजा व्रतनीगलीकवचननेपरिकर याने अर्थे सत्यवचनराख्वाने अर्थे प्रथमसांभलीने संघरनोमर्थपरमार्थसम्यका कारेंकडोजाणीने उतायलोनमोलें शीघ्रनहीचपलनहीपनिटनहिकठोरनहीसहसात्कार नहीपरजीवनेपोडाकारीयोनहीएचवोस
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