Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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(विहगपव्वज्जा पा०) ३ चउव्विहा पव्वज्जा पं०० -तुयावइत्ता (उयावइत्ता पा०) पुयावइत्ता बुयावइत्ता (भोयावइत्ता पा०)|| परिपूयावइत्ता ४, चउव्विहा पव्वज्जा पं०० -नडखझ्या भडखइया सीहखइया सियालक्खइया ५, चविही किसी पं०० - वाविया परिवाविया प्रिंदिता परिणिंदिता ६, एवामेव चविहा पव्वजा पं०० - वाविता परिवाविता णिदिता परिणिंदिता ७, चव्विहा पव्वजा पं०० -धन्नपुंजितसमाणा धन्नविरल्लितसमाणा धन्नविक्खित्तसभाणा धन्नसङ्कट्टितसमाणा ८ । ३५५ । चत्तारि सन्नाओ पं०० -आहारसन्ना भयसन्ना मेहुणसन्ना परिग्गहसन्ना १, चउहि ठाणेहिं आहारसन्ना समुष्पज्जति, तं० -ओमकोढताते १ छुहावेयणिजस्स कम्भस्स उदएणं २ मतीते ३ तदट्ठोवओगेणं ४, २ चाहिं ठाणेहिं भयसन्ना समुप्पजति० तं०-हीणसत्तत्ताते भयवेयणिजस्स कम्मस्स उदएणंमतीते तदट्ठोवओगेणं३ चाहिं ठाणेहिं मेहुणसन्ना समुपजति, तं०-चितमंससोणिययाए मोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं मतीते तदट्ठोवओगेणं ४, चाहिं ठाणेहिं परिग्गहसन्ना समुष्पजइ, तं० -अविभुत्त्याए लोभवेयणिजस्स कम्मरस उदएणंमतीते तदट्ठोवओगेणं ५१३५६चव्विहा कामा पं०२० -सिंगारा कलुणा बीभत्सा रोहा, सिंगारा कामा देवाणं कलुणा कामा मणुयाणं बीभत्सा कामा तिरिक्खजोणियाणं रोहा कामा णेरइयाणं । ३५७ । चत्तारि उदगा पं०० -उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदए| उत्ताणे णाममेगे गंभीरोदए गंभीर णाममेगे उत्ताणोदए गंभीर णाममेगे गंभीरोदए १, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं०२० -उत्ताणे नाममेगे उत्ताणहिदए उत्ताणे णाममेगे गंभीरहिदए०४, २, चत्तारि उदगा पं०० - उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी उत्ताणे णाममेगे | ॥श्रीस्थानाङ्ग सूत्र ।।
पू. सागरजी म. संशोधित
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