Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 150
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir भवे १ आयरिए (प्र०आरिए) खित्ते जम्म २ सुकुले पच्चायाती ३ केवलिपत्रत्तस्स धम्मस्स सवणता ४ सुयस्स वा सहहणता ५,|| सहहितस्स वा पत्तितस्स वा रोइतस्स वा सम्मं कारणं फासणया ६१४८५ ।छ इंदियत्था पं०० - सोइंदियत्थे जाव फासिंदियत्थे नोइंदियत्थे १४८६ छव्विहे संवरे पं०२० - सोतिंदियसंवरे जावफांसिदियसंवरे अणिंदियसंवरे, छविहे असंवर ५०० -सोइंदिअअसंवरे जाव फासिंदितअसंवरे णोइंदितअसंवरे । ४८७ । छविहे साते पं०० -सोइंदियसाते जाव नोइंदियसाते, छविहे असाते पं०० - सोतिंदितअसाते जाव नोइंदितअसाते । ४८८ । छविहे पायच्छित्ते पं०० -आलोयणारिहे पडिकमणारिहे तदुझ्यारिहे विवेगारिहे विउस्सग्गारिहे तवारिहे ।४८९ । छव्विहा मणुस्सगा पं०२० - जंबूदीवगा थायइसंडदीवपुरच्छिमद्धगा घाततिसंडदीवपच्चत्थिभद्धा पुक्खवरदीवड्ढपुरथिमद्धगा पुक्खरवरदीवड्ढपञ्चत्थिमद्धगा अंतरदीवगा० अहवा छव्विहा मणुस्सा पं०० -संमुच्छिममणुस्सा/ कम्मभूमगा १ अकम्मभूमगा २ अंतरदीवगा ३, गब्भवतिअमणुस्सा कम्मभूमिगा १ अकम्मभूमगा २ अंतरदीवगा ३ । ४९० ॥ छव्विहा इड्ढीमंता मणुस्सा पं०० -अरहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा चारणा विजाहरा, छव्विहा अणिड्ढीमंता मणुस्सा पं०२०हेमवंतगा हेरनवंतगा हरिवंसगा रम्भगवंसगा कुरुवासिणो अंतरदीवगा । ४९१ । छव्विहा ओसप्पिणी पं०० -सुसमसुसमा जाव/ दसमसमा, छव्विहा उस्सप्पिणी पं० ० -दुस्समदुस्समा जावसुसममममा १४९२ जंबद्दीवे २ भरहेरवएसवासेसु तीताए उस्सप्पिणीते सुसमसुसमाते समाए मणुया छच्च धणुसहस्साई उड्ढमुच्चत्तेणं हुत्था, छ अद्धपलिओवभाइं प्रमाउं पालयित्या १ जंबुद्दीवे २ ॥श्रीस्थानाङ्ग सूत्र ॥ (पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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