Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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कलहप्पिया साउणिता वग्गुरिया, सोयरिया मच्छबंधा य॥५७ ॥ चंडाला मुट्ठियाऽनेया, जे अन्ने पावकम्भिणो । गोधातगा य जे| चोरा, णिसायं सरमस्सिता ॥५८ ॥ एतेसिं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पण्णत्ता, तं० - सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सज्जगामस्स णं गत मुच्छणातो पं०२०- मंगी कोरव्वीया हरी य रतणी य सारकंता य । छट्ठी य सारसी णाम सुद्धसजा य सत्तमा ॥ ५९॥ मझिमगामस्सणं सत्त मुच्छणातो पं०० -उत्तमंदारयणी, उत्तरा उत्तरासमा आसोका यसोवीरा, अभिरू हवति सत्तमा ॥६॥ गंधारगामस्सणं सत्त मुच्छणातो पं०१० -णंदीत खुद्दिमा पूरिमाय चउत्थी यसुद्धगंधारा उत्तरगंधारावित पंचभिता हवति मुच्छा 3
॥ ६१ ॥ सुठुतरमायामा सा छट्ठी णियमसो ३ णायव्वा । अह उत्तरायता कोडीमातसा सत्तमी मुच्छ। ॥६२ ॥ सत्त सराओ कओ ||संभवंति ? गेयस्स का भवति जोणी? । कतिसमता उस्सासा ? कति वा गेयस्स आगारा ? ॥६३ ॥सत्त सराणाभीतो भवंति गीतं च रुय (प्र०रुण्ण) जोणीतं । पादसमा ऊसासा तिन्नि य गेयस्स आगारा ॥६४ ॥ आइभिउ आरभंता समुव्वहंता य मझगारंमि । अवसाणे तजवितो तिनि य गेयस्स आगारा ॥६५॥ छद्दोसे अट्ठ गुणे तिन्नि य वित्ताई दो य भणितीओ।जाणाहिति सो गाहिइ सुसिक्खिओ रंगमज्झम्मि॥६६॥भीतं दुतं रहस्सं(उप्पिच्छं पा०) गायंतो मात् गाहि उत्तालंकाकस्सरमणुनासंच होति गेयस्स छद्दोसा ॥६७॥ पुन्नं १ रत्तं २ च अलंकियं ३ च वत्तं ४ तहा अविधुटुं५ मधुरं ६ सम ७ सुकुमारं ८ अट्ठ गुणा होति गेयस्स ॥६८॥ उरकंठसिरपसत्थं च गेज्जते मारिभिअपदबद्धं समतालपडुक्खेवं सत्तसरसीहरं गीयं ॥६९ ॥ निहोसंसारवंतंच, हेउजुत्तमलंकिया | ॥श्रीस्थानाङ्ग सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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