Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 166
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie पच्चत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समध्येति, तं० -सिंधु जाव रत्तवती, धायइसंडदीवे पच्चत्थिमद्धेणं सत्त वासा एवं चेव, वरं|| पुरत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समष्यति पच्चत्थाभिमुहीओ कालोदं सेसंतंचेव, पुक्खरवदीवड्ढपुरच्छिमद्धेणं सत्त वासा तहेव, णवरं पुरत्याभिमुहीओ पुक्खरोदं समुदं समप्यति पच्चत्थाभिमुहीतो कालोदं समुदं समस्येति सेसं तं चेव, एवं पच्चस्थिमद्धेऽवि, णवरं पुरत्थाभिमुहीओ कालोदं समुदं सम० पच्चत्थाभिमुहीओ पुक्खरोदं० समप्यति, सव्वत्थ वासा वासहरपव्वता णतीतो य भाणितव्वाणि ।५५५ । जंबुद्दीवे २ भारहे वासे तीताते उस्स( ओस प्र०)प्पिणीते सत्त कुलगरा हुत्था, तं० -मित्तदामे सुदामे य, सुपासे सयंपथे। विमलघोसे सुघोसे त, महाघोसे यसत्तमे ॥७७ ॥जंबुद्दीवे २ भारहे वासे इभीसे ओसप्पिणीए सत्त कुलगरा हुत्था पढमित्थ विमलवाहण १ चक्खुम् २ जसमं ३ चउत्थमभिचंदे ४ । तत्तो य पसेणइ ५ पुण मरुदेवे चेव ६ नाभी य७ ॥७८ ॥एएसिंणं सत्तण्हं कुलगराणं सत्त भारियाओ होत्था, तं० - चंदजस १ चंदकांता २ सुरूव ३ पडिरूव ४ चक्खुकंता ५ योसिरिता ६ मरुदेवी ६ कुलकरइत्थीण नामाई ॥७९॥जंबुद्दीवे २ भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सत्त कुलकरा भविस्संति-मित्तवाहण सुभोमे य, सुप्पमेय सयंपभो दत्ते सुहुमे सुबंधू य, आगमेस्सेण होक्खती ॥८० ॥ विमलवाहणे णं कुलकरे सत्तविया रुक्खा उभोगत्ताते हव्वमागच्छिसु, तं० - मत्तंगतात भिंगा चित्तंा चेव होति चितरसा मणियंगात अणियणा सत्तमगा कप्यरुक्खा य॥८९॥॥५५६ ॥सत्तविधा दंडनीती/ ५०० - हकारे मकारे धिक्कारे परिभासे मंडलबंधे चारते छविच्छेदे । ५५७ । एगमेग्गस्स णं रत्रो चाउरंतचक्रवट्टिस्स णं सत्त ॥ ॥ श्रीस्थानाङ्ग सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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