Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 196
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir महापउमस्स दोच्चेवि नामधेजे भविस्सइ देवसेणेति( ५०णाति) २ तए गं तस्स देवसेणस्स रनो अन्नता कताती सेये|| संखतलविमलसन्निकासे चउड़ते हत्थिरयणे समुष्पजिहिति, तए णं से देवसेणे राया तं सेयं संखतलविमलसन्निकासंचउदंतं हत्थिरयणं दुरूढे समाणे सतदुवारं नगरं मझमझेणं अभिक्खणं २ अतिजाहि (३० पा० )त णिजाहि त, तते णंसतदुवारेणगरे बहवे रातीसरतलवर जाव अन्नमन्नं सदाविंति २ एवं वइस्संति जम्हाणं देवाणुप्पिया! अम्हं देवसेणस्स रन्नो सेते संखतलविमलसन्निकासे चउदंते हथियणे समुप्पन्ने त होऊ णमम्हं देवाणुप्पिया! देवसेणस्स रन्नो तच्चेऽवि नामधेजे विमलवाहणे, तते णं तस्स देवसेणस्स रन्नो तच्चेऽवि णामधेजे भविस्सति विमलवाहणे २ तए णं से विमलवाहणे राया तीसं वासाई अगारवासमझे वसित्ता अम्मापितीहिं देवत्तगतेहिं गुरुमहत्ततेहिं अब्भणुनाते समाणे उदुमि सरए संबुद्धे अणुत्तरे मोक्खमग्गे पुणरवि लोगंतितेहिं जीयकप्पितेहिं देवेहिं ताहिं इठ्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणमाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं धन्नाहिं सिवाहिं भंगल्लाहिं सस्सिरीआहिं वागूहिं अभिणंदिजमाणे अभिथुवमाणे य बहिया (प्र०संबोहिए ) सुभूमिभागे उजाणे एगं देवदूसमादाय मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयाहिति, तस्स णं भगवंतस्स साइरेगाई दुवालस वासाई निच्चं वोसढकाए चियत्तदेहे जे केई उक्सग्गा उपजति तं० - दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा ते उम्पन्ने सम्भं सहिस्सइ खमिस्सइ तितिक्खिस्सइ अहियासिस्सइ, तए णं से भगवं ईरियासमिए भासासमिए जाव गुत्तबंभयारी अममे अकिंचणे छिन्नगंथे (किन्नगंथे पा०) निरुवलेवे कंसपाईव मुक्कतोए जहा भावणाए जाव सुहुययासणेविव तेयसा जलंते कंसे संखे [ ॥ श्रीस्थानाङ्ग सूत्र ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221