Book Title: Adi Puran Part 2
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 551
________________ महादेवी - भगवान्की माताका नाम २८।२२५ मित्रफल्गु - भगवान् वृषभदेवका एक गणधर ४३६२ महाबलिन् बाहुबलीका पुत्र ३६.१०४ महाबाल- भगवान् वृषभदेवका गणधर ४३।६४ महाभागी भगवान् वृषभदेवका गणधर ४३।६६ महाबीर महारस महारथ महासती भगवान्को माताका - "" 31 " ४३।६३ ४३।६५ ४३।६३ नाम ३८।२२५ महीधर - भगवान् वृषभदेवका गणधर ४३।५६ महेन्द्रदत्त - राजा अकम्पनका कंचुकी ४३२७८ महेन्द्र भगवान् उपभदेवका गणधर ४३।५६ मागध - लवण समुद्रका अधिष्ठाता एक व्यतरदेव २८।१२२ मित्राग्नि- भगवान् वृषभदेवका गणधर ४३।५६ मित्रयज्ञ - भगवान् वृषभदेवका गणधर ४३ । ६२ मुनिदत्त ४३।६१ मुनियज्ञ४३।६१ मुनिगुप्त भगवान् वृषभदेवका गणधर ४३।६१ " मुनिदेव -,, ४३/६१ मेघमुख - एक देव ३२५६ मेघघोषा - एक भेरीका नाम ४४।९३ मेधस्वर- जयकुमारका नाम ४३ । १९० मेघप्रम एक विद्याधर ४४१०८ मेनका इन्द्रकी इन्द्राणी ४६।२५७ दूसरा व्यक्तिवाचक शब्द सूची मेरका एक सेटका नाम ४६| ११२ मेरु- भगवान् वृषभदेवका गणधर ४३।५७ मेरुपन- ४३।५७ मेरुभूति-,, ४३/५७ 11 य यशपाल विदेह क्षेत्रकी पुण्ड रोकिणी नगरीका राजा ४७।१९१ यशपाल सुखावतीका ४७।१८८ यशस्वती- राजा प्रजापालकी पुत्री ४६।४५ यशबाहु भगवान्का एक गण बाहुबली धर ४३।५५ योगिराज - मुनि ३६।२०१ पुत्र - र रतिकारिणी - प्रियदत्ताकी चेटी ४६।४२ रतिकूल एक मुनि ४३३६३ रतिपिङ्गल - एक वेश्याभक्त चोर ४६, २७६ रतिवर एक कबूतर ४६।२२ रतिवर्मा - मृणालवतीका एक सेठ ४६ १०४ रतिविमला - शिल्पपुर के राजा नरपतिकी पुत्री ४७२१४५ रतिषेणा - मृणालवती के सेठ श्री दत्तकी पुत्री ४६।१०५ रतिषेणा- अच्युत स्वर्गके प्रतीन्द्र की देवी ४६।३५२ रतिषेणा रतिवर कबूतरकी स्त्री ४६।३० रविप्रभा प्रभावतीकी पुत्री ४६ १८० रविप्रभा प्रभावतीकी पुत्री ४६।१८० रतिवर एक मुनि ४७।२२३ रत्नेश- भरत चक्रवर्ती ३६।१९५ ५३३ रथचरण देति चक्रायुध-चक्रवर्ती २८.२०७ रथवर - एक राजकुमार ४३।१८९ रविकीर्ति भरत चक्रवर्तीका एक पुत्र ४७२८१ रविप्रभ- स्वर्गका देव ४७२६० रविवीयं भरत चक्रवर्तीका पुत्र ४७।२८२ राजप्रभ - हस्तिनापुर के राजा सोमप्रभका दूसरा नाम ४३।८२ राजराज - भरत चक्रवर्ती ४५।४८ रिपुजय भरत चक्रवर्तीका पुत्र ४७।२८१ ल लक्ष्मीवान् भरत चक्रवर्ती ३८ २० लक्ष्मी - एक देवी ३८।२२६ लक्ष्मीमती- वाराणसीके राजा अकम्पन की पुत्री ४३ | १३५ लक्ष्मीवती जयकुमारको माता ४३।७८ लोकपाल- राजा पुत्र ४६।४८ लोल- एक किसान ४६ । २७८ लोहवाहिनी - भरत चीकी खुरीका नाम ३७।११५ व प्रजापालका वज्र - भगवान् वृषभदेवका एक गणधर ४३।६४ वज्रकाण्ड- भरत चक्रवर्तीका धनुष ३७।१६१ वज्रकेतु एक पुरुष जिसे लोग दण्ड दे रहे थे ४६।२७३ वज्रतुण्डा - भरत चक्रवर्तीकी शक्तिका नाम ३७।१६३ वज्रमय- भरत चक्रवर्तीके चर्म रत्नका नाम ३७/१७१ वज्रसार भगवान् वृषभदेवका एक गणधर ४३।६४

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