Book Title: Adi Puran Part 2
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 560
________________ आदिपुराणम् दृष्यकुटी = कपड़ेका तम्बू ३७।१५३ दूष्यशाला = कपड़ेकी चाँदनी २७।२४ दृढसंगर = दृढ़प्रतिज्ञ ३४।२०८ दृब्बा = गूंथी हुई ३७३१४१ देव = स्वर्गके निवासी देव ४११२६ देवदत्त = विचित्राङ्गद नामक देवके द्वारा किया हुआ ४३।२७८ देवभूय = देवत्व ३९।१०८ देशसन्धि = दो देशोंके मिलनेको सीमाएँ ३५।२७ दोर्यात = भुजाओंका आघात ३६७९ दोर्दण्ड = भुजदण्ड २९।९५ दैवज्ञान = ज्योतिष शास्त्र ४१।१४८ द्वैप्य = द्वीपोंमें होनेवाले २९।७४ द्वैराजदुःस्थिता = दो राजाओंके राज्यसे । व्यवस्थाहीन ३४।४७ द्रोणामुख = बन्दरगाह ३७।६२ द्वन्द्व परीषह ३६।११६ द्विजन्मन् = द्विज ३८१४९ द्विजिह्वता= दुष्टता, कुटिलता ३४।८८ द्विषच्चक्र = शत्रुओंका समूह ३६।६५ द्विषड् = बारह २८।११५ द्विरद = हाथी ३५।११५ धुसद् = देव ३५।७० धुमणि = सूर्य २९।१०८ ध धनाया = तृष्णा ३६।७८ धनोन्छनचुम्वुता=धन इकट्ठा करनेको तत्परता ३५।१२२ ६न्वन् = धनुष धारण करनेवाले . .. २७१११ धव = पति ४३।९८ धर्मसर्ग = धर्मसृष्टि ४१।३२ धा = धर्मयुक्त ३४।१४० निगलस्य = बेड़ीमें पड़ा हुआ धात्रीकल्प =धायके समान ४२१७६ ४३।३३ निघ्नता = अधीनता ३७११४२ धारित = धैर्य-भरे वचन ३६।२१ निचुल =वेतका वृक्ष २७:४६ धुर्य = धुरन्धर ४३३८५ नितम्बिनी=स्त्री ३५।१९४ धूर्गत = महावत ३६।१० निधन =मृत्यु २८।१३४ धूमध्वज = अग्नि ४४।१० निधुवन = मैथुन ३५।२१८ धृतिप्रावार = धैर्यरूपो ओढ़नी निध्यान = अवलोकन ४१।६८ ३४।१५७ निनृत्सु = नृत्यके इच्छुक तिसंवर्मित = धैर्यरूपी कवचसे ३६।१७४ युक्त ३४।१५९ नियति =देव, भाग्य ३५।१६७ धेनुका = हथिनी २९।१५६ नियाम =नियम ४५।६ धेनुष्या = बँधानमें दो हुई गायें। नियुद्ध = बाहुयुद्ध, कुश्ती ३६।४५ २६१४८ निरारेका = सन्देहरहित ३०।२३ धौरित = घोड़ोंको एक ल । निरूढ = प्रसिद्ध ३७।२६ घोड़ोंकी चालको धारा निर्वात = वज्र २६७७ कहते हैं। इसके पाँच भेद निर्वात - निर्घोष = वज्रपातका हैं - आस्कान्दित, २ धौरि शब्द २८।१२२ निर्मल = निरतिचार (निमम = तक, ३ रेचित, ४ वल्गित और प्लुत । ३११ ममतारहित) ३४।१७१ निर्मूच्छ = मोहरहित ३४।१७३ धौरेय = श्रेष्ठ ३८८ निर्वाणक्षेत्र = मुक्तिस्थान ४०।८९ ध्याति = ध्यान ४५।४ निर्विष्ट = उपभुक्त ३७।१९ ध्वाडक्ष = कौए ४११३७ निवृति = सुख ३७।१४ निवर्तित = पूर्ण-समाप्त ३७११ नद्धा=बँधी हुई २६८ निर्णिक्त = प्रक्षालित ३७।१२६ नन्दथु =आनन्द ३५।२ निविष्ट = बैठे हुए ४२११ नभोग = विद्याधर ३५।७३ निःश्रेयस = मोक्ष ३९।१ नर्मदा = क्रीड़ा देनेवाली ३०1८५ निशात = तीक्ष्ण ३६।११ नवग्रह = नया पकड़ा हआ निषधाद्रि ( भौ) = निषध २९।१२२ कुलाचल ३३।८० नवोढा = नयी विवाहित ४४/२०७ निष्प्रवाणी-नवीन शास्त्र, नागमिथुन = नाग-नागीका जोड़ा अभी हाल यन्त्रसे उतारे। ४३।९० हुए २६।५४ नाथवंश = वाराणसीके राजा निष्टा=पूर्णता ४२।१०७ अकम्पनका वंश ४४।३७ । निसर्गसुभग = स्वभावसे सुन्दर नापत्य = राज्य ( नृपतेः कार्य ३७५२९ नापत्यम् ) ४३१८६ निसृष्टार्थ = राजदूत ४३।२०२ नालिकं = सत्य ३५।१९६ नीरेक = निःसन्देह ३५।१३८ निकार=तिरस्कार ४६।३१६ नोतुचुन्चुत्व = नोतिनिपुणता निगम = गांव २६।१३४ . ३५।१२ . निगल = बेड़ी ४२१७६ नृपशु = नीच मनुष्य ३५।११४

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